हमारे शास्त्रों के कुछ उपदेश

geeta-updesh-5_202003149659

अगर आपको लगता है कि आप लगन पूर्वक काम करते हैं फिर भी व्यापार में अनुकूल सफलता नहीं मिल रही है तो इसका कारण ग्रहों का विपरीत प्रभाव या वास्तुदोष भी हो सकता है। इन हालातों में व्यवसाय में उन्नति के लिए आप कुछ प्रचलित टोटके आजमा सकते हैं।


बारह गोमती चक्र लेकर उसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर दुकान या अपने ऑफिस के बाहर मुख्य दरवाजे पर लटका दें। इससे ग्राहकों की संख्या बढ़ेगी और कारोबार में आने वाली बाधाएं दूर होगी।


अगर किसी ने आपके व्यवसाय में टोटका कर दिया है तो उसे दूर करने के लिए रविवार के दिन दोपहर में पांच नींबू काटकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में रख दें। इसके साथ एक काली मिर्च और एक  पीली सरसों रख दें। अगले दिन सुबह दुकान खोलने के बाद इन सभी सामानों को उठाकर किसी सुनसान स्थान पर ले जाकर रख आएं।


एक एकाक्षी नारियल लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में पूजा स्थान पर रखें। नियमित रूप से इस नारियल को धूप-दीप दिखाएं इससे व्यापार में उन्नति होती है।


हमारे शास्त्रों में लिखा है कि 9 काम ऐसे हैं जो कभी नहीं करना चाहिए। आपत्ति काल में भी उन्हें करने से अवश्य बचना चाहिए। जानिए कौन से 9 निंदित काम है जिन्हें करना वर्जित माना गया है-


1. असत्य भाषण,  2. परस्त्रीगमन,  3. अभक्ष्य भक्षण, (जो खाना मना हो) 4. अगम्यागमन (जहां जाना निषेध हो), 5. अपेय पान (जो पीना निषेध हो), 6. हिंसा, 7. चोरी, 8. वेदों के विरूद्ध आचरण, 9. मैत्री धर्म का निर्वाह न करना।


हर व्यक्ति के जीवन में कुछ रहस्य होते हैं जिन्हें वे हमेशा छुपाकर रखते हैं। हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि 9 प्रकार की ऐसी बातें हैं जिन्हें जब तक अनिवार्य न हो कभी किसी को नहीं बताना चाहिए।


जानिए, कौनसी हैं वे 9 परम गोपनीय बातें जो गृहस्थों को कभी प्रकट नहीं करना चाहिए-
1. आयु, 2. धन, 3. घर का कोई भेद, 4. मंत्र, 5. मैथुन, 6. औषधि, 7. तप, 8. दान तथा 9. अपमान।


शास्त्रों में कहा गया है कि मानव जीवन में अगर 9 बातें गोपनीय रखनी चाहिए तो 9 ऐसी बातें हैं जो किसी न किसी को अवश्य बता कर रखनी चाहिए। जानिए 9 ऐसी कौन सी बातें है जो छुपाना नहीं चाहिए-


1. ऋण लेने की बात, 2. किसी कर्ज से उऋण होने की बात,  3. दान में मिली वस्तु,  4. अध्ययन, 5. विक्रय की गई वस्तु के बारे में,  6. कन्यादान,  7. वृषोत्सर्ग, (एक प्रकार का संस्कार)  8. एकांत में किया गया पाप तथा 9. अनिंदित कर्म।