हर साल दिसंबर जनवरी के महीने कोहरे व धुंध यानी स्मॉग के कहर के शिकार हो जाते हैं । जितना बड़ा शहर, उतना ही ज्यादा कोहरे का संकट । कोहरे के चलते दिन का तापमान लगातार गिर जाता है , रातें ठंडी और मारक हो जाती हैं । उत्तर भारत में खास तौर पर कोहरे का प्रकोप गज़ब ढाता है । कोहरे की वजह से न जाने कितनी जानें जाती हैं । रोज लाखों यात्री समय से अपने गंतव्य पर नहीं पंहुच पाते हैं । देश भर में यातायात प्रभावित होता है । प्रतिदिन कितनी ही ट्रेन व बसें तथा हवाई जहाजों की उड़ाने भी लेट होती हैं या फिर रद्द की जाती हैं । कोहरे के प्रकोप का तोड़ ढूंढ पाने हर प्रयास नाकाम सिद्ध हो रहा है ।
आइए, जानें कि आखिर ये कोहरा वास्तव में है क्या ? और साथ साथ ही जानते चलते हैं इसके आसपास के अर्थ वाले शब्द – ओस , पाले व धुंध के बारें में भी ।
क्या हैं ओस और पाला
ओस
इतना तो हम जानते ही हैं कि वायु मंडल में जल वाष्प मौजूद होती हैं. पृथ्वी धरातल रात्रि में विकिरण द्वारा ऊष्मा त्याग कर ठंडी होने की प्रक्रिया सम्पन्न करती है, इन शीतल तलों पर संचित जल की बूंदों को ही ओस कहते हैं , अतः ओस वायु में उपस्थित जल वाष्प के धरातल पर संघनित होने से उत्पन्न होती है। स्वच्छ और शांत रातों में जब धरातल तीव्र गति से ठंडा होता है तब ओस पड़ती है परन्तु जब रात्रि बादलों युक्त हो तो ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण धरातल पूरी तरह से ठंडा नहीं हो पाता, इस लिए बादलों वाली रात को ओस नहीं पड़ती ।
पाला
आमतौर पर शीतकाल की लंबी रातें ज्यादा ठंडी होती है और कईं बार तापमान हिमांक पर या इससे भी नीचे चला जता है. ऐसी स्थिति में जलवाष्प बिना द्रव रूप में परिवर्तित हुए सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं. यही पाला है । पाला फसलों और वनस्पतियों के लिए बहुत हानिकारक होता है । उत्तर भारत में दिसम्बर से फरवरी तक के महीने पाला पड़ने वाले दिन हैं । ऐसे में यहाँ के किसान फसलों के छोटे पौधों को बचाने के लिए सिंचाई कर देते हैं. खेतों में पानी दिये जाने से आर्द्रता बढ़ जाने से जल वाष्प अपने में संचित उष्मा से वायु और धरातल को ज्यादा ठंडा नहीं होने देती ।
क्या है कोहरा ?
कोहरा वास्तव में एक निम्न स्तरीय बादल होता है वायु मंडल में उपस्थित जलवाष्प जब ओसांक से नीचे जाती है पर हिमांक से ऊपर रहती है तो उस स्थिति में पानी की छोटी-छोटी छोटी बूंदे वायुमंडल में देर तक लटकी रहती हैं , इस स्थिति में दृश्यता बहुत कम हो जाती है इस प्रकार का कोहरा शीतकाल में उत्तरी भारत में देखा जा सकता है । कई बार जब कोई गर्म और आर्द्र वायु ठन्डे धरातलीय इलाके से गुजरती है तो घनी होकर कोहरे का रूप लेती है इसे अभिवहन कोहरा कहते हैं ।
खतरनाक स्मॉग :
यहाँ एक और शब्द ‘स्माग’ से परिचित होना भी जरूरी है. जब कोहरे का धुएं के साथ मिश्रण होता है तो उसे ‘स्माग’ कहते है. स्मॉग ज्यादातर औद्योगिक शहरी क्षेत्रो में जल कणों का कार्बन कणों तथा अन्य सूक्ष्म कणों के मिश्रण से अधिक तीव्रता से बनता है और ज्यादा देर तक बना रहता है. इसमें विभिन्न रसायनों के वाष्पकण मिल जाने से इसकी प्रकृति अम्लीय भी हो जाती है जो अधिक हानिकारक है ।
क्या है धुंध और कुहासा ?
कुहासा अथवा धुंध भी एक प्रकार का कोहरा ही है. बस दृश्यता का अंतर होता है. यदि दृश्यता की सीमा एक किलोमीटर या एक किलोमीटर से कम हो तो उसे कुहासा या धुंध कहते हैं। कईं बार धूल कणों के मिलने के कारण विजिबिलिटी यानि दृश्यता कुछ मीटर तक ही रह जाती है. इस स्थिति में वाहनों की दुर्घटनाएं होती है. ऐसे समय में रेल और वायु परिवहन बाधित होता है ।
धुंध की स्थिति में सूर्य की किरणों का धरातल तक पंहुचना भी मुश्किल हो जाता है और दृश्यता कम होने से दुर्घटना होने की आशंका बढ़ जाती है ।
कैसे लगे लगाम ?
बेशक कोहरा धुंध या ओस अथवा पाला प्राकृतिक व भौगोलिक प्रक्रियाएं हैं और इनके घटित होने को रोका नहीं जा सकता है पर यदि थोड़ा ध्यान रखा जाए तो इनके हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है । ओस का बहुत अधिक हानिकारक प्रभाव नहीं देखा गया बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से ओस से भीगी घास पर चलना अच्छा माना जाता है । पाले से बचने के लिए फसलों पर इसके हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए खेतों में सिंचाई कर देने से इसका प्रभाव कम हो जाता है ।
क्या करें कोहरे और धुंध में ?
सबसे बड़ी समस्या हैं कोहरा और धुंध क्योंकि इनके पड़ने से दृश्यता कम होने से यातायात तो लगभग ठप्प ही हो जाता है । अतः सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर हो कि वाहन कम गति से ही चलाएं । ‘एंटीफोग’ लाइट का इस्तेमाल करें व प्रदूषण के स्तर को कम से कम स्तर पर लेकर आया जाए क्योंकि प्रदूषण कम होगा तो वातावरण में धूल के कण लटके नहीं रह पाएंगें और उन पर जल वाष्प नहीं जम पाएगी और इससे कोहरे का संघनन कम होगा । साथ ही साथ ही बढ़ते हुए ग्रीनहाउस हाउस इफेक्ट व ग्लोबल वार्मिंग पर भी ध्यान देना होगा ताकि कोहरे का कोहराम कम हो सके और सर्दियों में जीवन खुशगवार बना रह सके ।
कैसे भी रोकना होगा प्रदूषण
इसके अतिरिक्त लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है चाहे वह अंधाधुंध बढ़ रहे वाहनों से हो या उद्योगों से इस पर लगाम कसनी ही पड़ेगी । बेहतर हो कि सार्वजनिक परिवहन की हालत सुधारी जाए इससे लोगों को अनावश्यक रूप से अपने वाहन लेकर नहीं चलना पड़ेगा । व्यक्तिगत रूप से भी पूल सिस्टम अपनाना भी एक कारगर कदम हो सकता है । ईवन ओड सिस्टम तो दिल्ली में असफल रहा । इन सब उपायों के अलावा वाहनों व उद्योगों से निकलने वाले धुंए के स्तर भी सख़्त नियम लागू करने पड़ेंगे । और हां, कुदरत से छेड़छाड़ की प्रवृत्ति सबसे बड़ी वजह है स्मॉग के कहर की । हमें हर हाल में प्रकृति को संरक्षित करना होगा । वृक्षकटान पर पाबंदी आयद करनी होगी अन्यथा कोहरे व स्मॉग का कहर हर साल बरपता ही रहेगा ।