नॉर्मल (अमेरिका), बांग्लादेश में सात जनवरी को होने वाले आम चुनाव में प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी ‘अवामी लीग’ की विजय पक्की मानी जा रही है। यह बांग्लादेश के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण भी साबित हो सकता है।
वर्ष 2014 और 2018 के पिछले दो चुनावों के साथ कुछ समानताओं के बावजूद वर्ष 2024 के आम चुनाव के बाद का परिदृश्य अलग होने की संभावना है।
अपने लगातार चौथे कार्यकाल में हसीना के सामने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ,दोनों तरह की कठिन चुनौतियां होंगी, जिनका देश के आर्थिक, राजनीतिक और कूटनीतिक पथ पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
वर्ष 2024 के चुनाव की राह साजिश, विपक्ष पर कार्रवाई, बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां, हिंसा और राज्य तंत्र के दुरुपयोग से भरी है। यहां तक कि न्यायपालिका भी मुख्य विपक्षी राजनीतिक दल ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ को मुकाबले से बाहर रखने के लिए सक्रिय हो गई है, लेकिन इसके बावजूद चुनाव को इस तरह पेश किया जा रहा है कि इसमें सभी की सहभागिता है।
सवाल यह है कि क्या मतदाता बड़ी संख्या में मतदान करेंगे। जब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने 2014 में चुनाव का बहिष्कार किया था तो कम मतदान हुआ, जिससे लोकप्रिय जनादेश हासिल करने का अवामी लीग (एएल) का दावा कमजोर हो गया। वर्ष 2014 में आधे से अधिक संसद सदस्यों के निर्विरोध चुने जाने के कारण इस दावे में दम नहीं दिखा।
वर्ष 2014 के दोहराव से बचने के लिए इस बार अवामी लीग के प्रत्याशियों के खिलाफ ‘डमी’ उम्मीदवार खड़े किये गये हैं। अवामी लीग ने अपनी पार्टी के सदस्यों को आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है और उम्मीद कर रही है कि ये प्रत्याशी अपने समर्थकों को मतदान केंद्रों तक लाएंगे।
हालांकि, हसीना सरकार केवल ‘डमी’ उम्मीदवारों के भरोसे नहीं है। सरकार ने समाज के सबसे कमजोर तबके को निशाने पर लेते हुए उसे धमकी दी है कि यदि उन्होंने मतदान नहीं किया तो उनको कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ेगा।
यह काफी बड़ी संख्या है। बांग्लादेश में 1.28 करोड़ लोगों को समाज कल्याण की योजनाओं का लाभ मिल रहा है और इसके अलावा 1.97 करोड़ लोगों को प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों के नामांकन का समर्थन करने के लिए भत्ता मिलता है।
कई जगहों पर कई लाभार्थियों के पहचान पत्र अवामी लीग के स्थानीय नेताओं द्वारा इस वादे के साथ जब्त कर लिये गये हैं कि वे इसे तभी लौटाएंगे जब मतदाता मतदान करने पहुंचेंगे। लेकिन क्या यह तरकीब कारगर साबित होगी, यह देखना अभी बाकी है।
पूर्व के चुनावों के विपरीत मतदान प्रतिशत पूरी कहानी नहीं बयां करेगा।
शेख हसीना और उनकी पार्टी पहले से ही गैर-सहभागी होने के नैतिक संकट से घिरी हुई है। हसीना की आसन्न जीत की वैधता कई अन्य कारकों से भी कम हो गई है जिनमें तीन नयी पार्टियों की स्थापना, विपक्ष के खिलाफ कार्रवाई का समय, बीएनपी को विभाजित करने का असफल प्रयास, राज्य मशीनरी का दुरुपयोग और व्यक्तियों और संगठनों को चुनाव में शामिल होने के लिए मजबूर करना, सत्तारूढ़ दल के समर्थित उम्मीदवारों और निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रति हिंसा जारी रखना आदि कारक शामिल हैं।
पिछले साल, विशेषज्ञों ने बांग्लादेश के संविधान के 15वें संशोधन की संवैधानिकता पर सवाल उठाए थे, जिसने कार्यवाहक सरकार के प्रावधान को निरस्त कर दिया था।
हसीना की आगामी जीत की वैधता को कमजोर करने वाले कई कारकों को देखते हुए, 2024 का चुनाव देश में राजनीतिक संकट को और बढ़ा देगा।
लोकतंत्र की कीमत पर आर्थिक विकास करने के अवामी लीग के दावे की पोल खुलनी शुरू हो गई है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था लगातार संकट की ओर बढ़ रही है। विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 20 अरब अमेरिकी डॉलर से भी कम हो गया है और इसमें कमी जारी है, वहीं विदेशी ऋण लगभग 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है।
बैंकिंग क्षेत्र अव्यवस्थित है और गैर-निष्पादित ऋण कुल कर्ज का 10.11 प्रतिशत है। तरलता संकट के कारण कई मौकों पर बैंक लेनदेन रुकने का खतरा पैदा हो गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मुद्रास्फीति नौ प्रतिशत से अधिक है, जबकि बाजार मूल्य कहीं अधिक ऊंची दर का संकेत देता है। बांग्लादेशी मुद्रा (टका) में पिछले वर्ष के दौरान लगभग 28 प्रतिशत की गिरावट आई है यानी अवमूल्यन हुआ है।
पिछले महीनों में विदेशी मुद्रा के प्रवाह और निर्यात से होने वाली आय (रेडीमेड परिधान क्षेत्र सहित) में गिरावट आई है। इन समस्याओं के कारण तीन रेटिंग कंपनियों – एसएंडपी, मूडीज और फिच – ने बांग्लादेश की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को कम कर दिया है।
सांठगांठ वाले पूंजीवाद, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और पूंजी के बाहर जाने की उच्च दर ने भी आर्थिक संकट में योगदान दिया है और शासन के करीबी एक छोटे समूह को लाभ पहुंचाया है।
सिविल सेवाओं, पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों, सैन्य और व्यापारिक अभिजात्य वर्ग के ये सदस्य शासन की निरंतरता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
एक पक्षीय चुनाव के भूराजनीतिक परिणाम भी होंगे।
बांग्लादेश के चुनाव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने बार-बार स्वतंत्र, निष्पक्ष और समवेशी चुनाव का आह्वान किया है, जबकि रूस, चीन और भारत प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थन में खड़े हैं।
रूस और चीन ने अमेरिका पर बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।
हसीना ने दावा किया है कि अमेरिका की मंशा उन्हें सत्ता से बेदखल करने की है। हालांकि, जब से विपक्ष के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई और चुनाव का ऐलान किया गया है तब से अमेरिका खामोश है।
इस बात को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं कि अमेरिका चुनाव के बाद बांग्लादेश के खिलाफ दंडात्मक कदम उठा सकता है।
यह संकट नयी सरकार को चीन से नजदीकी बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है जिसका मकसद आर्थिक सहयोग के जरिये अधिक प्रभाव जमाना है।
बांग्लादेश में चुनाव के बाद का राजनीतिक परिदृश्य जल्द ही हुन सेन के शासन वाले कंबोडिया और कम्युनिस्ट पार्टी के तहत शासित चीन जैसा हो सकता है, जहां केवल सत्ताधारी के साथ सहयोगात्मक संबंध रखने वाली पार्टियां ही मौजूद रह सकती हैं।