केवल एक जनवरी ही नही है नववर्ष!

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डॉ श्रीगोपालनारसन एडवोकेट

प्रत्येक वर्ष एक जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष    ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई थी। इस  रोमन कैलेंडर का नया वर्ष 1 मार्च से शुरू होता है, लेकिन रोमन के प्रसिद्ध सम्राट जूलियस सीजर ने 46 वर्ष ईसा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन किया था। इसमें उन्होंने जुलाई का महीना और इसके बाद अपने भतीजे के नाम पर अगस्त का महीना जोड़ दिया था। तब से  नया साल 1 जनवरी को मनाया जाने लगा। नव वर्ष लगभग 4,000 वर्ष पहले बेबीलीन नामक स्थान से मनाया जाना शुरू हुआ था। कहते है  ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी, इसलिए इस दिन से नव वर्ष का आरंभ भी होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को नया साल हिजरी शुरू होता है।  सिख धर्म के नानकशाही कैलेंडर के अनुसार  नया वर्ष मार्च में होली के दूसरे दिन मनाते हैं। जैन धर्म में नववर्ष को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं। यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष  प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है।


नया साल निश्चित ही नई खुशियों की सम्भावना लेकर आता है।हम सोचते है इस साल जो हुआ सो हुआ लेकिन  हम सबके  लिए आने वाला साल अच्छा ही हो।इसीलिए नये वर्ष का जुनून हर किसी के सिर चढ़कर बोलता है।हर कोई चाहता है कि नये साल में उसके मन की सारी मुरादे पूरी हो जाये और आने वाला साल उपलब्धियों भरा सिद्ध हो।हालांकि हिन्दू संवत्सर के अनुसार अभी भी चैत्र मास प्रतिपदा से ही नये वर्ष की शुरुआत मानी जाती है।लेकिन बहुसंखयक वर्ग दुनियाभर मे एक जनवरी को ही नववर्ष के रूप मे मनाते है।हिन्दू धर्म के मतानुसार  ब्रह्मा जी ने हिन्दू संवत्सर के पहले  दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसलिए इस दिन से नव वर्ष का आरंभ भी होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को नया साल हिजरी शुरू होता है।  जिसका प्रचलन आज भी जारी है।अपने देश में नववर्ष सभी स्थानों पर अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। ज्यादातर ये तिथियां मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती हैं। पंजाब में नया साल बैशाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है।


नववर्ष पर पर्यावरण सुरक्षा के लिए कुछ ऐसा करे जो अनुकरणीय हो, इसके लिए नववर्ष में कुछ नए पौधे लगाकर प्रकृति को और भी सुंदर बनाने का संकल्प लिया जा सकता है।घर के हर सदस्य से कही न कही एक पौधा लगवाये और उसका पोषण भी हो।नववर्ष पर परमात्मा को याद करना और उन्हें नमस्कार करना न भूले।साथ ही नये वर्ष पर कुछ अच्छा करने का संकल्प लेकर अच्छा सोचना शुरू करे तो सहज ही संकल्प पूरा हो जाएगा।परम् परमात्मा से प्रार्थना है कि हे, परमात्मा यह वर्ष हम सबके लिए,अपने देश और समाज के लिए कल्याणकारी हो तथा दुनिया हिंसा समाप्त होकर शांति सदभाव का वातावरण बना रहे।एक जनवरी को नया साल ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। ये कैलेंडर दुनियाभर में प्रचलित है। लेकिन अनेक देश ऐसे हैं, जिनका अपना अलग कैलेंडर है और वे उस कैलेंडर के हिसाब से अलग-अलग तारीखों और महीनों में अपने नव वर्ष का उत्सव करते हैं।चीन में चंद्रमा आधारित कैलेंडर माना जाता है।यहां हर तीन साल में सूर्य आधारित कैलेंडर से इसका मिलान किया जाता है।इसके हिसाब से इनका नव वर्ष 20 जनवरी से 20 फरवरी के बीच पड़ता है।चीन के अलावा वियतनाम, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया और मंगोलिया में भी चंद्रमा कैलेंडर को ही नववर्ष का आधार माना जाता है और उसी के हिसाब से ननववर्ष मनाया जाता हैजबकि


थाईलैंड में जल महोत्सव या थाई नव वर्ष, एक जनवरी को नहीं, बल्कि अप्रैल के मध्य में मनाया जाता है। यहां 13 या 14 अप्रैल को नववर्ष मनाया जाता है।उनकी स्थानीय भाषा में इस दिन को ‘सोंगक्रण’ कहा जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को ठंडे पानी से भिगोकर नव वर्ष की शुभकामना देते हैं।कंबोडिया का नया वर्ष 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस अवसर पर यहां के लोग शुद्धि समारोह में भाग लेते हैं यानी खुद को पवित्र करते हैं और धार्मिक स्थानों पर जाते हैं।


श्रीलंका में भी नया साल अप्रैल के मध्‍य में मनाया जाता है।नए साल के पहले दिन को अलुथ अवरुद्दा कहते हैं।नए साल के मौके पर श्रीलंकाई प्राकृतिक वस्तुओं से स्नान करते हैं।इथियोपिया में 11 या 12 सितंबर को नया वर्ष मनाया जाता है। नए वर्ष का उत्सव मनाने के लिए इथियोपियाई लोग गीत गाते हैं और एक-दूसरे को फूल देते हैं। यहां नए वर्ष को ‘एनकुतातश’ कहा जाता है।मंगोलिया में नया साल 16 फरवरी को मनाया जाता है। नव वर्ष का ये उत्‍सव 15 दिनों तक चलता है।इस दौरान, लोग पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करने, कर्ज चुकाने और विवादों को सुलझाने के लिए एकत्र होते हैं।वही रूस, मैसेडोनिया, सर्बिया, यूक्रेन में रहने वाले लोग ग्रेगोरियन न्यू ईयर की तरह जूलियन न्यू ईयर 14 जनवरी को मनाते हैं। यहां आतिशबाजी व मनोरंजन के साथ इस दिन अच्छा खाना खाने की परंपरा है।नेपाली में 14 अप्रैल को नया साल मनाया जाता है। इस दिन नेपाल में अवकाश रहता है। यहां के लोग इस दिन पारंपरिक परिधान पहनकर खुशियां मनाते हैं,तो है न दिलचस्प इतिहास नव वर्ष का,जिसपर लोग झूमते गाते है,खुशियां मनाते है।लेकिन बेहतर हो इस दिन अपनी कोई बुराई छोड़ने का संकल्प ले और परमात्मा को यादकर सकारात्मक सोच के साथ अपने जीवन की शुरुआत करें।