आमतौर पर कहा जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का वास होता है। स्वस्थ मनुष्य हर कार्य को सही तरीके से व समय पर करने में सक्षम होता है। आजकल तो नौकरी के कई विज्ञापनों में भी स्वस्थ कर्मचारी की मांग की जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार जिस व्यक्ति की आत्मा व इंद्रियां प्रसन्न होती हैं, वह मनुष्य पूर्ण रूप से स्वस्थ होता है। शारीरिक शास्त्रा की नजर से देखें तो जिस व्यक्ति का पाचनतंत्रा व उत्सर्जन तंत्रा बिना किसी गड़बड़ी के ठीकठाक चलता रहता है, नाड़ीतंत्रा व ग्रंथितंत्रा संतुलित होता है, उस व्यक्ति को स्वस्थ माना जाता है।
स्वस्थ रहने हेतु कुछ आवश्यक नियम
संयमित व पौष्टिक आहार लें
वैज्ञानिकों के अनुसार संतुलित आहार पर ही व्यक्ति का स्वास्थ्य निर्भर है। अपने भोजन में नियमित रूप से विटामिन, लवण, कार्बोहाइड्रेट व प्रोटीन आदि पौष्टिक तत्व देने वाले पदार्थों को शिमल करें। तले-भुने, अधिक गरिष्ठ व मिर्च मसाले वाले भोजन का सेवन कम से कम मात्रा में करें। यह ध्यान रखें कि पौष्टिक तत्वों की मात्रा भी उतनी ही लें जितनी आपके शरीर हेतु उचित हो। इन तत्वों की आवश्यकता से अधिक मात्रा लेने पर लाभ की बजाय हानि हो सकती है। अपने आहार को संयमित बनाएं। स्वाद के चक्कर में पड़कर अपना स्वास्थ्य नष्ट न करें।
अपनी शक्ति को बेवजह नष्ट न करें
पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने हेतु अपनी शारीरिक शक्ति को बेवजह व्यर्थ न करें। मुख्य रूप से अधिक सोचने से व अधिक बोलने से शक्ति नष्ट होती है। अपनी वाणी को संयमित रखें। जहां आवश्यकता हो, वहीं बोलें। कहने का तात्पर्य यह नहीं कि एकदम चुप्पी साध लें पर जहां तक हो सके, कम ही बोलें। मन में अनावश्यक विचारों को न पनपने दें। गलत विचार दिमाग में आते ही शरीर तनावयुक्त हो जाता है जिसका स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
पूरी नींद लें
स्वास्थ्य के लिए जितना आहार का महत्त्व है, उतना ही नींद का भी है। नींद के बिना स्वस्थ शरीर की कल्पना नहीं की जा सकती। नींद न आने से स्वास्थ्य प्रभावित होता है। आजकल अधिकांश व्यक्तियों में अनिद्रा की समस्या पायी जाती है मगर अपनी दिनचर्या को संतुलित बनाकर इसे दूर किया जा सकता है। रात में जल्दी सोने व सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें। अपनी शारीरिक शक्ति के अनुसार ही परिश्रम करें। व्यस्त व्यक्तियों के लिए नींद का समय निश्चित करना कठिन है मगर हर संभव प्रयास करें कि पूरी नींद ली जाए।
इंद्रियों को संयमित रखें
आधुनिकता के नाम पर उन्मुक्त यौन संबंधों के प्रति लोगों का बढ़ता आकर्षण नई बीमारियों का जन्मदाता है। आज हर तरफ भोग विलास की स्पर्धा चलती रहती है। एड्स जैसी भयंकर बीमारी इस सबका ही परिणाम है। यदि मनुष्य अपनी पांचों इंद्रियों को वश में रखें, तभी वह स्वस्थ शरीर पा सकता है।