भुवनेश्वर/बरहमपुर, इस साल पद्म श्री पुरस्कार के लिए चुने गए सबसे उम्रदराज व्यक्ति 105 वर्षीय गोपीनाथ स्वैन ने कहा है कि यह प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘कृष्ण लीला’ के प्रति उनके करीब नौ दशक के समर्पण का सम्मान है।
स्वैन को जब उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि उन्हें पद्म श्री पुरस्कार के लिए चुना गया है, उस समय वह ‘कृष्ण लीला’ गा रहे थे।
इस वर्ष ओडिशा के चार व्यक्तियों को पद्म श्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। ओडिशा के स्वैन के अलावा भागवत प्रधान, बिनोद महराना और बिनोद कुमार पसायत का नाम पुरस्कार पाने वालों की सूची में है।
‘कृष्ण लीला’ स्थानीय संगीत और गायन के माध्यम से भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करने की कला है।
अपने इलाके में ‘गुरु’ के नाम से जाने जाने वाले स्वैन ने कहा कि इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुने जाने से वह अभिभूत हैं।
स्वैन ने कहा, ‘‘यह कृष्ण लीला के अभ्यास के प्रति मेरे करीब नौ दशक के समर्पण का सम्मान है। उम्र मुझे ज्ञान हासिल करने से नहीं रोक सकेगी। मैं अपनी आखिरी सांस तक सीखना जारी रखूंगा।’’
जिला परिषद सदस्य निबेदिता प्रधान ने कहा, ‘‘हम बहुत खुश हैं और हमें उन पर गर्व भी है कि उन्हें इस उम्र में इतना प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलेगा।’’
वर्ष 1918 में जन्मे स्वैन ने 10 साल की उम्र में अपने पिता के बड़े भाई से कृष्ण लीला सीखना शुरू किया। वह शुरुआत में शास्त्रीय गीत गाते थे और कृष्ण की भूमिका निभाते थे। बाद में वह इस लोक कला के मुख्य गायक-सह-निर्देशक बन गए।
उन्होंने अपने गांव में एक अखाड़ा (पारंपरिक नृत्य विद्यालय) की स्थापना की थी और कई ग्रामीण युवाओं को गीत एवं नृत्य का प्रशिक्षण देना शुरू किया।
संबलपुर शहर के गीतकार और नाटककार बिनोद कुमार पसायत ने उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुने जाने पर केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया।
पसायत ने कहा, ‘‘जब मैंने यह खबर सुनी तो मुझे विश्वास नहीं हुआ। मेरी बहू ने बाद में इस खबर की पुष्टि की। मोदी (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) की सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद।’’
पसायत ने कहा कि उनका छोटा सैलून उनकी प्रयोगशाला है जहां उन्होंने शब्दों के साथ प्रयोग किया और साहित्यिक रचनाएं कीं।
बरगढ़ के ‘शब्द नृत्य’ लोक कलाकार भागवत प्रधान (85) को भी प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें ‘‘शब्द नृत्य के दायरे को मंदिर परिसर से अन्य व्यापक मंचों तक विस्तारित करने’’ का श्रेय दिया जाता है।
पद्म श्री के लिए चुने गए पट्टचित्र कलाकार बिनोद कुमार महाराणा को ‘शिल्पी गुरु’ के नाम से भी जाना जाता है।
महाराणा ने कहा, ‘‘पारंपरिक चित्रकार के तौर पर अपने करियर के दौरान मुझे कई पुरस्कार मिले हैं, लेकिन यह पुरस्कार मेरे लिए विशेष और प्रिय है।’’