जानें गर्भावस्था के दौरान कराए जाने वाले टेस्ट

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मां बनना सुखद अहसास तो है पर गर्भावस्था में कौन से टेस्ट करवाने चाहिएं इसकी जानकारी का अहसास भी जरूरी है ताकि उस काल में मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रह सकें। आइए जानें।


गर्भकाल का टोटल समय 9 माह तक होता है। एक या दो सप्ताह ऊपर भी हो सकते हैं। इस दौरान हर माह खून, यूरिन की जांच करवाएं। ब्लड प्रेशर, शुगर आदि की भी नियमित जांच करवाएं। जब डाक्टर परामर्श दे, अल्ट्रासाउंड करवाने की तभी करवाएं। ऐसा करने से मां और बच्चे दोनों की सेहत का पता चलता रहता है।


6  से 12 हफ्तों के बीच सामान्य टेस्ट अल्ट्रासाउंड होता है जिससे बच्चे के जन्म का अंदाजा लगाया जाता है। बहुत सी महिलाएं अपनी अंतिम माहवारी की तारीख भूल जाती हैं। इसके लिए जरूरी है अल्ट्रासाउंड करवाना। इसके अतिरिक्त जिन महिलाओं का पहले गर्भपात हो चुका हो, जिन्हें गर्भकाल में दर्द रहता हो या रक्तस्त्राव हो रहा हो, उनके लिए अल्ट्रासाउंड करवाना जरूरी होता है।


इसके पश्चात 18 से 20 सप्ताह के बीच एक अल्ट्रासाउंड होता है जो बच्चे के शारीरिक विकास के लिए होता है कि उसके अंग सही हैं या नहीं। बच्चे के सेक्स की पहचान भी इसी दौरान होती है


जो बताना गैर कानूनी है। इसके साथ यूटरस और प्लेसेंटा की भी जांच हो जाती है।
कुछ स्क्रीनिंग टेस्ट भी 11 से 13 हफ्ते में कराए जाते हैं और कुछ 15 से 16 हफ्ते के बीच कराए जाते हैं। इन्हें न्यूचल ट्रांसल्यूकेंसी और मेटरनल सीरम टेस्ट कहते हैं। इससे बच्चे की जन्मजात बीमारियों व क्रोमोजोम्स की समस्या के बारे में पता चल सकता है।  


कोई भी डायगनोस्टिक टेस्ट कराने से पूर्व अपने पार्टनर से विचार विमर्श कर, करवाएं ताकि किसी भी प्रकार के दोष की स्थिति में दोनों मिलकर फैसला कर सकें कि गर्भपात कराना है या चुनौती स्वीकार कर उस आने वाले जीव का पालन पोषण करना है।