नयी दिल्ली, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कच्चे तेल की आपूर्ति सहित हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग के लिए गुयाना के साथ पांच साल के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की शुक्रवार को मंजूरी दे दी।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई।
बयान के मुताबिक, “प्रस्तावित एमओयू में हाइड्रोकार्बन क्षेत्र की समूची मूल्य श्रृंखला शामिल है। इसमें गुयाना से कच्चे तेल की आपूर्ति, गुयाना के खोज और उत्पादन क्षेत्र में भारतीय कंपनियों की भागीदारी और कच्चे तेल शोधन के क्षेत्रों में सहयोग शामिल है।”
इस समझौते में क्षमता निर्माण, द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करना, प्राकृतिक गैस क्षेत्र में सहयोग, गुयाना में तेल एवं गैस क्षेत्र में नियामकीय नीतिगत ढांचे के विकास में सहयोग और जैव ईंधन सहित स्वच्छ ऊर्जा के साथ नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग शामिल है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता और आयातक देश है। वह तेल आयात के अपने स्रोतों में विविधता लाना चाहता है और इसके लिए दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना में संभावनाएं तलाश रहा है।
बयान के मुताबिक, यह समझौता ज्ञापन शुरुआत में पांच साल की अवधि के लिए होगा और इसे दोनों देशों के सहमत होने पर आगे बढ़ाया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि गुयाना के साथ हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करेगा और निवेश को बढ़ावा देगा। इससे कच्चे तेल के स्रोत में विविधता लाने में मदद मिलेगी जिससे देश की ऊर्जा और आपूर्ति सुरक्षा बढ़ेगी।
यह भारतीय कंपनियों को गुयाना के ईएंडपी (खोज एवं उत्पादन) क्षेत्र में भाग लेने का अवसर प्रदान करेगा और उन्हें वैश्विक तेल और गैस कंपनियों के साथ काम का अवसर देगा।
हाल के समय में गुयाना ने तेल एवं गैस क्षेत्र में प्रमुख स्थान हासिल किया है और यह दुनिया का सबसे नया तेल उत्पादक बन गया है। यहां पर 11.2 अरब बैरल तेल भंडार की नई खोजें की गई हैं जो कुल वैश्विक तेल एवं गैस खोज का 18 प्रतिशत है।
बीपी ऊर्जा परिदृश्य और इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी का अनुमान है कि भारत की ऊर्जा मांग वर्ष 2040 तक लगभग तीन प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ेगी जबकि इसकी वैश्विक दर एक प्रतिशत है। इसके साथ ही 2020-2040 के बीच वैश्विक ऊर्जा मांग वृद्धि में भारत की हिस्सेदारी 25-28 प्रतिशत रहने का अनुमान है।