सिंगापुर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि हरित वित्त के क्षेत्र में भारत और सिंगापुर के बीच सहयोग का मजबूत भविष्य है।
उन्होंने कहा कि दोनों देश नयी दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में सतत वित्त पर नेताओं के घोषणापत्र में तय की गयी रूपरेखा के भीतर काम कर सकते हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति) आयोग के उपाध्यक्ष की सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा सिंगापुर के विदेश मंत्रालय के विशिष्ट आगंतुक कार्यक्रम के तहत हो रही है। इसका मकसद द्विपक्षीय संबंधों और सभी स्तर पर परस्पर सहयोग को मजबूत करना है।
बेरी ने कहा, ‘‘भारत और सिंगापुर हरित वित्त-जलवायु वित्त के संदर्भ में उस ढांचे के भीतर जल्दी और कुछ महत्वपूर्ण कर सकते हैं जो सतत वित्त पर नयी दिल्ली में नेताओं के घोषणापत्र में निर्धारित किया गया है।’’
पिछले साल नौ सितंबर को पारित किए गए घोषणापत्र में अन्य बातों के अलावा, एकीकृत, समग्र और संतुलित तरीके से पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और समावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया गया।
बेरी ने 16 से 19 जनवरी की अपनी यात्रा के दौरान शहर के प्रमुख संस्थानों से बातचीत की।
उन्होंने कहा कि सिंगापुर ने एशिया में कृत्रिम मेधा (एआई) का नेतृत्व किया है और उसकी, दिसंबर में शुरू की गयी राष्ट्रीय एआई रणनीति 2.0 के तहत एआई विशेषज्ञों की संख्या तीन गुना यानी 15,000 तक बढ़ाने की योजना है।
बेरी ने कहा कि चूंकि सिंगापुर और भारत में प्रौद्योगिकीय प्रतिष्ठान एक-दूसरे के साथ सहज हैं तो इस क्षेत्र में तकनीकी मानव आदान-प्रदान की गुंजाइश हो सकती है।