राहुल गाँधी की होने वाली ‘ भारतीय न्याय यात्रा’ से कांग्रेस को कितना फायदा होगा ?
Focus News 6 January 2024नये साल की शुरुआत में भारत जोड़ो यात्रा के समापन के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी अगले महीने से ‘भारत न्याय यात्रा’ शुरू करेंगे। यह यात्रा 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले हो रही है जहां कांग्रेस के नेतृत्व में एकजुट विपक्ष भारतीय जनता पार्टी से मुकाबला करना चाहता है। यात्रा की घोषणा पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की। राहुल गांधी ने पिछले साल सितंबर में कन्याकुमारी से 4,080 किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी और 14 राज्यों – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश को कवर करते हुए कश्मीर तक मार्च किया था।
आपको याद होगा कि राहुल गांधी ने पिछले वर्ष भारत जोड़ो यात्रा नाम से भी एक यात्रा की थी जिसमें वो कन्याकुमारी से कश्मीर तक गए थे। ठीक वैसे ही राजनीतिक हितों और कुछ खास मुद्दों को लेकर कांग्रेस पार्टी उन्हें एक और यात्रा पर भेज रही है। ये नई यात्रा मणिपुर से शुरू होगी और महाराष्ट्र के मुंबई में खत्म होगी। इस दौरान राहुल गांधी 65 दिन इस यात्रा में गुजारेंगे। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी 6 हजार 200 किलोमीटर की दूरी तय करेंगे। यात्रा का बड़ा हिस्सा बस के जरिए तय किया जाएगा, और बीच बीच में राहुल गांधी पैदल यात्रा भी करेंगे। भारत न्याय यात्रा 14 राज्यों से होकर गुजरेगी जिसमें करीब 85 जिले रास्ते में पड़ेंगे। इन 14 राज्यों में मणिपुर, मेघालय, नगालैंड, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र हैं।
राहुल गांधी की इस नई यात्रा का मकसद देश की 355 लोकसभा सीटों को कवर करना है। जिन राज्यों से ये यात्रा गुजरेगी, उन राज्यों में कुल 355 लोकसभा सीटें पड़ती हैं। कांग्रेस को पूरा भरोसा है कि भारत न्याय यात्रा में राहुल गांधी को जनता का पूरा समर्थन मिलेगा। कांग्रेस का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा में राहुल को जनता का समर्थन मिला था, ठीक वैसे ही इस बार भी मिलेगा। देखा जाए तो कांग्रेस इस यात्रा को चुनावी यात्रा नहीं मान रही है लेकिन जिस दिन ये यात्रा खत्म होगी, उसी दिन से कांग्रेस चुनावी बिगुल फूंकेगी, यानी इस यात्रा के जरिए कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटों को कवर करना चाहती है और राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बीच, अपनी यात्रा के जरिए मीडिया और सोशल मीडिया में छा जाना चाहती है।
कांग्रेस के अनुसार भारत न्याय यात्रा, आर्थिक न्याय के लिए, सामाजिक न्याय के लिए और राजनीतिक न्याय के लिए है हालांकि भाजपा की नजर में इस यात्रा के अन्य मायने हैं। उसने अभी से इस यात्रा को निशाने पर ले लिया है। कांग्रेस का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा की वजह से उन्हें कर्नाटक और तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में सफलता मिली है। यही वजह है कि वो लोकसभा चुनावों से ठीक पहले एक और यात्रा करके अपने पक्ष में माहौल बना लेंगे।
मणिपुर में हुई जातीय हिंसा को कांग्रेस पार्टी, केंद्र सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहती है।यही वजह है कि इस यात्रा की शुरुआत के लिए मणिपुर को चुना गया है जहां मल्लिकार्जुन खरगे इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे लेकिन उत्तर पूर्वी राज्य से यात्रा की शुरुआत को लेकर असम के विधानसभा स्पीकर ने राहुल गांधी से तीखे सवाल पूछे हैं। कांग्रेस पार्टी उत्तर पूर्व से यात्रा की शुरुआत इसलिए भी कर रही है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में उत्तर पूर्व में कांग्रेस का जनाधार गिरा है। एक दशक से पहले तक पूरा उत्तर पूर्व कांग्रेस का गढ़ था लेकिन पिछले कुछ चुनावों में भाजपा ने उत्तर पूर्व के राजनीतिक हालात पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिए हैं। वर्ष 2014 में कांग्रेस की उत्तर पूर्व के 7 राज्यों में से 5 राज्यों में सरकारें थीं जबकि भारतीय जनता पार्टी की एक भी उत्तर पूर्वी राज्य में सरकार नहीं थी। लेकिन वर्ष 2023 आते आते कांग्रेस उत्तर पूर्व से पूरी तरह से साफ हो गई है।
अभी की स्थिति ये है कि उत्तर पूर्व के 7 राज्यों में से 6 में या तो भाजपा की सरकार है, या भाजपा गठबंधन की सरकार है। इसके अलावा 1 राज्य मिजोरम में इस बार स्थानीय पार्टी सत्ता में है, यानी किसी राज्य की सत्ता में कांग्रेस का कोई रोल नहीं है। असम में भाजपा सरकार, अरुणाचल प्रदेश में भाजपा गठबंधन की सरकार है, मणिपुर में भाजपा सरकार है, त्रिपुरा में भाजपा सरकार, मेघालय में भाजपा गठबंधन की सरकार है, नगालैंड में भाजपा गठबंधन की सरकार है और मिजोरम में भी स्थानीय पार्टी झे. पी .एम. की सरकार है। इसके बाद यात्रा पहुंचेगी पश्चिम बंगाल। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। ममता बनर्जी की पार्टी टी. एम. सी. , इंडिया गठबंधन में शामिल है। लेकिन यहां हम आपको बताना चाहते हैं कि ये यात्रा इंडिया गठबंधन की यात्रा नहीं है, ये पूरी तरह से कांग्रेस पार्टी की यात्रा है। उत्तर पूर्व के सभी 7 राज्यों को मिलाकर कुल 25 लोकसभा सीटें हैं। कांग्रेस पार्टी एक बार फिर से मणिपुर से यात्रा को शुरु करके, उत्तर पूर्व की 25 सीटों को साधना चाहती है।
पश्चिम बंगाल के बाद यात्रा पहुंचेगी बिहार, जहां पर आर . जे. डी . और जे . दी. यू . की गठबंधन सरकार है। ये पार्टियां भी इंडिया गठबंधन में शामिल हैं लेकिन जैसे कि भारत न्याय यात्रा इंडिया गठबंधन की यात्रा नहीं है, ये कांग्रेस पार्टी की यात्रा है। इसीलिए इस राज्य में भी कांग्रेस अपना जनाधार मजबूत करना चाहेगी। बिहार के बाद यात्रा झारखंड का रुख करेगी. यहां पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है हालांकि इस सरकार में कांग्रेस सहयोगी है। झारखंड के बाद यात्रा ओडिशा का रुख करेगी, ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार है और ओडिशा में कांग्रेस को अपना जानाधार बढ़ाना है, क्योंकि नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल , इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं है।
ओडिशा के बाद कांग्रेस की भारत न्याय यात्रा भाजपा शासित 6 राज्यों छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से गुजरेगी यानी इन सभी 6 राज्यों में कांग्रेस को जीतने के लिए माहौल बनाना होगा। देखा जाए तो भारत न्याय यात्रा के दौरान जिन भी राज्यों से राहुल गांधी गुजरेंगे, वहां कांग्रेस को बहुत ज्यादा समर्थन की उम्मीद नहीं होगी। वजह ये है कि यात्रा के रूट पर पड़ने वाले किसी भी राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार नहीं है, और जहां उनकी मौजूदगी है, वहां की सत्ता में वो गठबंधन में दूसरे या तीसरे नंबर पर हैं।
चुनावों से पहले यात्रा निकालने का एकमात्र मकसद जनता के बीच, खुद की मौजूदगी का एहसास कराना होता है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जो स्थित हुई है। उसके बाद से कांग्रेस की असली चुनौती जनता के बीच अपनी छवि को सुधारना और अपने जनाधार को बढ़ाना है। कांग्रेस पार्टी की भारत न्याय यात्रा भी इसी मकसद से निकाली जाएगी और इसी मकसद को लेकर भारत जोड़ो यात्रा भी निकाली गई थी। इस भारत जोड़ो यात्रा का कितना लाभ कांग्रेस पार्टी को, इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में हुआ, यह सभी जानते हैं ।
गौरतलब है कि पिछली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए राहुल गांधी सीमित रूप में सही लेकिन अपनी छवि को सुधारने में कामयाब रहे थे। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन में अभी तक का सबसे सफल इवेंट कहा जा सकता है। इससे पहले उनकी छवि एक नादान राजनेता के तौर पर बताई जाती रही लेकिन इस यात्रा ने उन्हें जमीनी स्तर पर लोगों से जोड़ा जिसकी वजह से उनकी छवि में कुछ सुधार हुआ। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस ने काफी हद तक देश के राजनीतिक माहौल को अपने पक्ष में मोड़ा था। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद, ये पहला मौका था, जब भारत का विपक्ष सड़क पर काफी एक्टिव नजर आया।
दरअसल 2022 के बाद से देश में कई ऐसे मौके और मुद्दे आए, जब जनता विपक्ष को लेकर ही सवाल उठा रही थी। सवाल ये उठे कि जनता से जुड़े मुद्दों पर देश का विपक्ष, सरकार के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन करता हुआ नजर क्यों नहीं आता।
भले ही भारत जोड़ो यात्रा के बाद हुए हिमाचल और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की। इस जीत के साथ देश का राजनीतिक माहौल काफी हद तक कांग्रेस के पक्ष में नजर आया था लेकिन ये राजनीतिक माहौल नवंबर 2023 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद गायब हो गया था। दरअसल 5 राज्यों के इन चुनावों में से केवल 1 राज्य तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार आई। जबकि भारत जोड़ा यात्रा के रूट में राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे राज्य भी थे लेकिन राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता चली गई और मध्य प्रदेश में मजबूत स्थिति में होने के बावजूद, राज्य की सत्ता भाजपा के पाले में चली गई।
दरअसल भारत जोड़ो यात्रा के शुरू होने के बाद से देश के 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं। इन 11 में से 3 राज्यों में कांग्रेस सत्ता में आई है। 7 में भाजपा ने जीत दर्ज की है और 1 राज्य में स्थानीय दल विजयी रहा है। वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर कांग्रेस की सारी उम्मीदें इंडिया गठबंधन को लेकर हैं लेकिन कांग्रेस की भारत न्याय यात्रा, इंडिया गठबंधन में शामिल दूसरे दलों को नाराज भी कर सकती है। जैसे भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब राहुल गांधी महाराष्ट्र से गुजरे थे, तब सावरकर को लेकर शिवसेना के साथ उनकी तीखी नोंकझोंक हुई थी। जबकि शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।
इस बार भारत न्याय यात्रा बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से गुजरेगी, जहां पर कांग्रेस सत्ता के गठबंधन में जूनियर पार्टनर के तौर पर शामिल है। वहीं पश्चिम बंगाल में टी .एम .सी . सरकार है, जो इंडिया गंठबंधन में शामिल हैं। भले ही ये पार्टियां इंडिया गठबंधन में हों लेकिन कांग्रेस की न्याय यात्रा के दौरान, इन पार्टियों के साथ कांग्रेस का तालमेल बिगड़ भी सकता है। अन्य राज्यों में जहां से न्याय यात्रा गुजरेगी वहां के इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल, कांग्रेस पार्टी को लेकर क्या रुख अपनाएंगे, ये भी देखना होगा। यह सवाल इस कारण भी पैदा होता है क्योंकि अभी तक इंडिया गठबंधन के बीच लोकसभा चुनावों को लेकर सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। जबकि कई बैठकें हो चुकी हैं। कांग्रेस की न्याय यात्रा अगर सफल होती है तो बहुत हद तक मुमकिन है कि कांग्रेस सभी राज्यों में अपने लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें मांगेगी जो इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
बहरहाल 14 जनवरी से यात्रा शुरू होगी , वो वक्त होगा जब भाजपा का पूरा फोकस अयोध्या में राम मंदिर में होने वाले भव्य कार्यक्रम पर होगा। राहुल की न्याय यात्रा का ऐसे समय उत्तरप्रदेश पड़ाव ऐसे में काफी दिलचस्प रहने वाला है।