नयी दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संशोधित अनुसूचि ‘एम’ दिशानिर्देशों की अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत दवा कंपनियों को किसी औषधि को वापस लेने के बारे में लाइसेंसिंग प्राधिकारी को सूचित करना होगा और उत्पाद की खराबी के बारे में भी जानकारी देनी होगी।
अभी तक दवा वापस लेने के बारे में लाइसेंस प्राधिकरण को सूचित करने का कोई प्रावधान नहीं था।
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 का अनुसूची भाग ‘एम’ देश में औषधि विनिर्माण इकाइयों द्वारा अपनाई जाने वाली ‘अच्छी विनिर्माण प्रथाओं’ से संबंधित है। 28 दिसंबर को जारी किए गए नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि निर्माता को उत्पादों की गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार होना चाहिए ताकि “उत्पाद अपने इच्छित उपयोग के लिए उपयुक्त हों, निर्माता लाइसेंस की आवश्यकताओं का अनुपालन करें और अपर्याप्त सुरक्षा, गुणवत्ता या प्रभावकारिता के कारण मरीजों को जोखिम में न डालें।”
ये दिशानिर्देश 2022 से कथित तौर पर घटिया भारतीय दवाओं और इसके कारण विदेश में होने वाली मौतों की शिकायतों की पृष्ठभूमि में जारी किए गए हैं।