नयी दिल्ली, बीते सप्ताह देशी तेल-तिलहनों के थोक दाम टूटते दिखे और इसके कारण देश की पेराई मिलों का संकट बढ़ गया है। दूसरी ओर, विदेशों में कच्चे पामतेल (सीपीओ) के दाम में सुधार के बीच देश के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल की कीमतों में मजबूती रही। वहीं अन्य तेल-तिलहनों (सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल) के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों की भरमार के बीच देशी तेल-तिलहनों के दाम बेपड़ता (महंगा) हैं। ऐसे में देशी तिलहन (सरसों, सूरजमुखी, मूंगफली) की खरीद भी एमएसपी से कम दाम पर हो रही है। इन तिलहनों की पेराई करने में देशी तेल मिलों को नुकसान हो रहा है, क्योंकि ये पहले से आयातित तेलों के मुकाबले महंगा बैठते हैं और पेराई की अलग लागत बढ़ने के बाद इन तेलों के लिवाल नहीं हैं। इससे देश की खाद्य तेल पेराई मिलों ही हालत खराब हो रही है।
सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह कच्चे पामतेल का भाव 930 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 940-945 डॉलर प्रति टन होने की वजह से यहां बीते सप्ताह सीपीओ और पामोलीन के दाम में मजबूती आई। सीपीओ महंगा होने के कारण बेकरी कंपनियों द्वारा मंगाये जाने वाले सीपीओ का आयात प्रभावित हुआ है। दूसरी ओर जिस सोयाबीन डीगम का दाम 935-940 डॉलर प्रति टन था वह अब घटकर 920-925 डॉलर प्रति टन रह गया है।
उन्होंने कहा कि सीपीओ के दाम में आई इस मजबूती की वजह से देश के बाजारों में बीते सप्ताह सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम सुधार के साथ बंद हुए।
दूसरी ओर सोयाबीन डीगम के दाम में गिरावट आने से देश में सोयाबीन तेल-तिलहन समेत बाकी देशी देशी तेल-तिलहन भी भारी दबाव में आ गये। मूंगफली तेल का दाम पहले से सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले लगभग दोगुना है और इस वजह से कोई मूंगफली खरीद नहीं रहा, क्योंकि पेराई के बाद इसके तेल के लिवाल नहीं हैं।
सूत्रों ने कहा कि सरसों एमएसपी से लगभग 10 प्रतिशत नीचे बिक रहा है। मूंगफली के एमएसपी से कम दाम का भुगतान किसानों को हो रहा है। बिनौला तेल खप नहीं रहा और बिनौले के नकली खलों की बिक्री की शिकायतें मिल रही हैं। सूरजमुखी की तरह इन देशी तेल-तिलहनों की हालत भी कहीं बद से बदतर न होती चली जाये, इस प्रश्न के बारे में देश के प्रतिष्ठित तेल संगठनों को गंभीरता से सोचना होगा। तेल संगठनों की निष्क्रियता तेल-तिलहन उद्योग को आयात पर पूरी तरह निर्भर बना सकती है। इसके अलावा सरकार को खाद्य तेलों में मिलावट करने तथा बिनौला तेल खल के वायदा कारोबार को रोकने के बारे में कोई कड़ा फैसला करना होगा।
सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों की महंगाई पर रोक लगाने के सारे प्रयास असफल रहे हैं और इसके लिए उठाये गये कदमों के बारे में तेल संगठनों और सरकार को पुनर्विचार करना चाहिये। सस्ते आयातित तेलों की बाढ़ के कारण खाद्य तेलों के थोक दाम कम जरूर हुए हैं पर खुदरा बाजार में खाद्य तेलों के दाम में नरमी नहीं है। किसानों की उपज (सरसों) एमएसपी से लगभग 10 प्रतिशत नीचे बेचने पर भी तेल पेराई मिलों को नुकसान हो रहा है। यही हाल मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला का भी है। इन तेलों की पेराई के बाद लिवाल नहीं मिलते। किसानों की उपज के खपने में भारी कठिनाई है। सबसे बड़ी बात उपभोक्ताओं को भी खाद्य तेल सस्ता नहीं मिल रहा है।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 45 रुपये की गिरावट के साथ 5,325-5,375 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 30 रुपये घटकर 9,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 5-5 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 1,685-1,780 रुपये और 1,685-1,785 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 65-65 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,830-4,860 रुपये प्रति क्विंटल और 4,640-4,680 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 150 रुपये, 75 रुपये और 10 रुपये के नुकसान के साथ क्रमश: 9,850 रुपये और 9,700 रुपये और 8,140 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
काफी महंगा दाम बैठने की वजह से मांग प्रभावित होने के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 250 रुपये की गिरावट के साथ 6,300-6,375 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 750 रुपये और 100 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 14,750 रुपये क्विंटल और 2,210-2,485 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
विदेशों में सीपीओ के दाम में मजबूती आने के बाद समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 75 रुपये के सुधार के साथ 8,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 50 रुपये के सुधार के साथ 9,175 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 55 रुपये की बढ़त के साथ 8,480 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
गिरावट के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी 125 रुपये घटकर 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।