लोकसभा चुनावों के लिए तैयार भाजपा

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देश बदल रहा है।  दुनिया बदल रही है। हम भी राम- राज की ओर बढ़ रहे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी जी ने मप्र,राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जातीय अंकगणित के हिसाब से मुख्यमंत्री बनाकर आने वाले लोकसभा चुनाव में हिंदी पट्टी से लोकसभा की 250  सीटें जीतने का पुख्ता इंतजाम कर लिया है।


मोदी मैजिक से देश ही नहीं उनकी अपनी पार्टी के लोग हैरान है।  मोदी जी ने पूरी पार्टी को नियंत्रित किया हुआ है।


मोदी जी और उनकी टीम को लोकसभा की 250  सीटों को साधने के लिए तीन राज्यों  में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री तय करने में 9  दिन का समय लगा।


मीडिया के पंडित कहते हैं कि मोदी के जाति गणित ने न केवल मप्र,राजस्थान और छत्तीसगढ़ को बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और बिहार तक को साध लिया है। शायद यही इस समय भाजपा की खूबी है। कांग्रेस मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़  को नहीं साध पायी। कांग्रेस को शायद नहीं पता कि – रहीम  जी ने क्या कहा था ? रहीम  ने कहा था कि -एकहि साधे सब सधे ,सब साधे सध जाये , रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय॥ कांग्रेस अपनी मूल को शायद सींच नहीं पा रही, जबकि भाजपा ने अपनी नयी जड़ें विकसित कर ली हैं। ये जड़ें मोदी और शाह की जड़ें हैं।


आपको बता दूँ कि भाजपा 2024  के आमचुनाव में एक नया कीर्तिमान   रचने के लिए लालायित ही नहीं है बल्कि उसने इसकी तैयारी भी की है। वैसे भी भाजपा कीर्तिमान रचने में सिद्धहस्त है।  भाजपा ने सरयू तट पर दिए जलाने के दो-दो कीर्तिमान पहले ही रच दिखाए हैं। भाजपा के अनुराग ठाकुर की मानें तो भाजपा अबकी बार संसद की 300  नहीं बल्कि पूरी 400  सीटें जीतेगी। कांग्रेस का ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है।  कांग्रेस कभी लक्ष्य बनाकर काम करती ही नहीं है। कांग्रेस का लक्ष्य अलक्ष्य है। कांग्रेस को पता है कि -हुईए वही जो राम रचि राखा तो कोई तर्क करके क्यों साखा बढ़ाये?


भाजपा ने देश के राष्ट्रपति पद पर श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को पहुंचाकर आदिवासी मूल प्रदेशों में सत्ता हासिल कर ली।  अब छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा देशभर के आदिवासियों के वोट बटोरेगी। मप्र में यादव जी को मुख्यमंत्री बनाकर यूपी और बिहार के  यादवों के वोट साध लिए। राजस्थान में पहली बार के विधायक भजनलाल पंडित जी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा पूरे देश के पंडितों के वोट हासिल करना चाहती है। राजस्थान जैसे सूबे में पहली बार के विधायक भजनलाल यदि न चले तो क्या होगा? लेकिन भाजपा ने जोखिम लिया है और उसे इसका फल मिलेगा। अंग्रेजी  वाले कहते हैं न -नो रिस्क,नो गेन। कांग्रेस जोखिम लेने से डरती है। एक डरी हुई पार्टी से देश क्या उम्मीद कर सकता है ?
कांग्रेस अभी हार के गम से उबर नहीं पायी है और भाजपा ने लोकसभा चुनावों की तैयारियां प्रारंभ कर दी है। आज की स्थिति ये है कि समूचा विपक्ष सरकार के किसी काम को रोक नहीं पा रहा है। संसद में उसकी ताकत सीमित है और सड़क पर कोई भी राजनीतिक दल संसद के मुद्दों को लेकर उतरने की स्थिति में है नहीं।