उत्तर भारत में परचम फहराने के बाद दक्षिण में परचम फहराने की तैयारी में भाजपा का अश्वमेध

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भारतीय जनता पार्टी तीन हिंदी भाषी राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वापसी के बाद जोश से ओतप्रोत है। सत्ता के इस सेमीफाइनल में एकतरफा जीत के बाद पार्टी की अगली नजर इस साल होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव पर है जहां उसने 400 के पार का लक्ष्य बनाया है लेकिन भाजपा के लिए दक्षिण का किला भेदना हमेशा से चुनौती रहा है। कर्नाटक भी हाथ से फिसल जाने के बाद वहां की लड़ाई इतनी आसान नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को दक्षिण भारत के पांच राज्यों की 131  सीटों में से सिर्फ 29 में जीत मिल पाई थी। उसमें भी 29 में से 25 सीटें अकेले कर्नाटक से आई थीं। ऐसे में इस बार 400 के टार्गेट को पाने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने नया प्लान बनाया है। भाजपा  दक्षिण भारत के 131 सीटों में से 84 सीटों पर फोकस कर रही है। नए साल की शुरुआत प्रधानमंत्री ने दक्षिण भारत के दौरे के साथ ही की  हैं।

 

दक्षिण भारत के 131 सीटों की अगर बात करें तो तमिलनाडु में 39, कर्नाटक में 28 और आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा की सीटें हैं। वहीं केरल में 20, तेलंगाना में 17 और लक्षद्वीप और पुदुचेरी में 1-1 लोकसभा की सीटें हैं।भाजपा उन 84 सीटों पर फोकस कर रही है जहां इतिहास में कभी भी भाजपा को जीत नहीं मिली है। इन राज्यों में प्रधानमंत्री  मोदी की सभाओं में अच्छी भीड़ होती रही है लेकिन चुनावों में भाजपा को वोट अधिक नहीं मिलता रहा है।

भाजपा  की तैयारियों को लेकर बताया जाता है कि  साल 2014 में भाजपा का फोकस उत्तर भारत और पश्चिम भारत पर रहा था। साल 2019 के चुनाव में भाजपा ने पूर्वी भारत में अपनी पकड़ मजबूत बनायी। 2024 में उम्मीद है कि भाजपा दक्षिण भारत की तरफ भी फोकस करेगी।भाजपा की तेलंगाना और कर्नाटक में अच्छी पकड़ है।गत चुनाव में कर्नाटक में भाजपा ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार जेडीएस के साथ भाजपा ने गठबंधन किया है हालांकि गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर दिक्कतें आ रही है। वहीं तेलंगाना में पार्टी ने अपने लिए 10 सीटों का लक्ष्य रखा है। तेलंगाना में  विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बीआरएस और कांग्रेस के लिए खाली मैदान छोड़ दिया लेकिन शायद लोकसभा में पार्टी अपने हालत में सुधार करेगी।

साउथ इंडिया में जहां भाजपा की बहुत अधिक पकड़ नहीं देखने को मिल रही है, वहीं प्रधानमंत्री  मोदी की लोकप्रियता दक्षिण भारत में काफी अधिक रही है। संभावना यह है कि प्रधानमंत्री  मोदी साउथ इंडिया की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। इसका एक बड़ा असर चुनाव पर हो सकता है।भाजपा की एक कोशिश रहेगी कि प्रधानमंत्री  की लोकप्रियता का फायदा पार्टी उठा सके। अगर प्रधानमंत्री  मोदी चुनाव लड़ते हैं तो उसका असर पूरे दक्षिण भारत पर पड़ सकता है।

दक्षिण भारत में भाजपा को 2 नए सहयोगी भी मिल सकते हैं। एआएडीएमके और जेडीएस से बात चल रही है, साथ ही टीडीपी के साथ भी गठबंधन की चर्चा चल रही है। भाजपा के पास दक्षिण के कई राज्यों में कुछ भी खोने के लिए नहीं है। यही कारण है कि समय-समय पर पार्टी की तरफ से आक्रामक प्रचार अभियान चलाया गया है। तमिलनाडु में प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के नेतृत्व मेंभाजपा ने जमकर मेहनत किया है। हालांकि के. अन्नामलाई को लेकरभाजपा की सहयोगी रही AIADMK सहज नहीं रही थी और बाद में उसने गठबंधन से अलग होने का भी फैसला ले लिया।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा का दक्षिण में जोरदार प्रदर्शन करने का इरादा कम नहीं हुआ है। आने वाले दो महीनों में प्रधानमंत्री इन दक्षिण के 5 राज्यों में खूब प्रचार करेंगे और विकास की कई योजनाएं भी शुरू करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को तमिलनाडु के दौरे पर थे जहां उन्होंने 20,000 करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इनमें एक शानदार नया हवाई अड्डा भी शामिल है। इस हवाई अड्डे के बनने से राज्य के हवाई संपर्क में काफी सुधार होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को केरल में थे जहां उन्होंने त्रिशूर में एक भव्य रोड शो और एक जनसभा को संबोधित किया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस जनसभा में लगभग दो लाख भाजपा महिला कार्यकर्ता शामिल हुईं। यह कांग्रेस की ओर से भाजपा के दक्षिण में कमजोर होने के दावों के बादभाजपा का एक बड़ा शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।

 

बताया जाता है कि काशी-तमिल संगमम से लेकर त्रिशूर में महिला संगमम तक, नरेंद्र मोदी चुपके-चुपके दक्षिण में भाजपा की पैठ बढ़ा रहे हैं। तमिलनाडु दौरे के अगले दिन बुधवार को प्रधानमंत्री  मोदी केरल में ‘2 लाख महिलाओं’ की रैली के जरिए दक्षिण भारत में भाजपा के लोकसभा अभियान का शंखनाद कर चुके हैं।केरल के त्रिशूर में ‘नारी शक्ति मोदीकोप्पम महिला संगमम’ के जरिएभाजपा शक्ति प्रदर्शन कर रही है। पार्टी का दावा है कि ये कार्यक्रम अभूतपूर्व है क्योंकि दक्षिण भारत में किसी भी पार्टी के कार्यक्रम में महिलाओं की इतनी बड़ी भागीदारी नहीं हुई है। ये कार्यक्रम ऐतिहासिक महिला आरक्षण कानून को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिलने पर केरल की महिलाओं की तरफ से प्रधानमंत्री  मोदी को धन्यवाद देने के लिए है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में भाजपा ने पिछले कई सालों की कोशिशों से धीरे-धीरे एक नया वोट बैंक तैयार करने में सफलता हासिल की है। ये नया वोट बैंक है आधी आबादी यानी महिलाओं का। ऐतिहासिक महिला आरक्षण बिल को संसद से पास कराना उसी दिशा में एक अहम कदम है। एक ही बार में तीन बार तलाक बोलकर महिला से रिश्ता खत्म करने की बुराई तलाक-ए-बिद्दत को बैन करने से मुस्लिम महिलाओं को फायदा पहुंचा है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और राज्यों की कई भाजपा सरकारें महिलाओं को सीधा फायदा पहुंचाने वाली कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं।

केंद्र सरकार की बात करें तो उसकी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, उज्ज्वला योजना, जनधन अकाउंट, मिशन पोषण, सुरक्षित मातृत्व आश्वासन, मैटरनिटी लीव को 12 की जगह 26 हफ्ते करना, मातृवंदन योजना के तहत बच्चे के जन्म पर मां को 5000 रुपये जैसी तमाम योजनाएं महिलाओं पर ही केंद्रित हैं। आर्मी में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने जैसे कदम से समान अवसर और समानता का अधिकार देने की कोशिश की। उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन का लाभ मिला है। अभी अयोध्या में प्रधानमंत्री  मोदी ने उज्ज्वला योजना की 10 करोड़वीं लाभार्थी से मुलाकात की थी। इसके अलावा जनधन योजना के तहत 27 करोड़ महिलाओं का बैंक में खाता खुला है। बैंक से बिना गारंटी के कर्ज वाली मुद्रा लोन योजना के लाभार्थियों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। स्टैंड अप इंडिया स्कीम के लाभार्थियों में भी आधे से ज्यादा महिलाएं हैं। चुनावों में भाजपा को मोदी सरकार की इन स्कीम का लाभ मिलता रहा है।


भाजपा का दक्षिण भारत में कमाल दिखाने का इरादा है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में पांच दक्षिणी राज्यों की कम से कम 40-50 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। एक  बातचीत में भाजपा के एक सीनियर लीडर ने बताया कि कर्नाटक में भाजपा 25 सीटें बरकरार रखने का दावा कर रही है। पार्टी का कहना है कि लोगों ने सिद्धारमैया सरकार पर जल्दी ही भरोसा खो दिया है। विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद पार्टी का वोट शेयर नहीं गिरा। 2019 में तेलंगाना में 4 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार और बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। पार्टी का मानना है कि तेलंगाना राष्ट्र समिति (BRS) के टूटने से सीधा मुकाबला कांग्रेस से होगा, जिससे पार्टी को फायदा मिल सकता है। भाजपा के निशाने पर केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश भी हैं। पार्टी इन राज्यों में भी कुछ सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है।भाजपा की केरल में राहुल गांधी के खिलाफ वायनाड से मजबूत उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में  है। भाजपा के एक सीनियर लीडर ने बताया कि चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रैलियों में दक्षिण पर खास जोर होगा। पार्टी मोदी के नाम पर वोट मांगने की तैयारी में है।

बिना किसी शोर शराबे के भाजपा चुपचाप दक्षिण में अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटी है। कांग्रेस के हाथों कर्नाटक हारने के बाद अभी दक्षिण के किसी राज्य में उसकी सरकार नहीं है लेकिन पार्टी लगातार वहां अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है। 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पार्टी ने न सिर्फ 8 सीटों पर जीत दर्ज की बल्कि अपना वोट शेयर भी दोगुना किया। 2018 में सूबे में पार्टी को 6.2 प्रतिशत वोट मिले थे जो इस बार बढ़कर 14 प्रतिशत के करीब रहा। इतना ही नहीं, कामरेड्डी सीप पर तो भाजपा के के. वेंकट रमन रेड्डी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी दोनों को शिकस्त दी हालांकि, दोनों नेता अपनी-अपनी दूसरी सीट से जीतने में सफल रहे और कांग्रेस के रेवंत रेड्डी तो मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे। पार्टी का प्रदर्शन ये बताता है कि तेलंगाना में उसका प्रदर्शन कोई तुक्का नहीं है।इसी कारण अब प्रधानमंत्री ने अपना अश्वमेघ इस ओर मोड़ दिया है ।