नयी दिल्ली, चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में बिजली की खपत पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब नौ प्रतिशत बढ़कर 1,099.90 अरब यूनिट हो गई जो आर्थिक गतिविधियों में उछाल को दर्शाती है।
अप्रैल-नवंबर 2022-23 में देश में बिजली की खपत 1,010.20 अरब यूनिट रही थी। इसके पहले 2021-22 की समान अवधि में यह आंकड़ा 916.52 अरब यूनिट था।
वित्त वर्ष 2022-23 की समूची अवधि में बिजली की खपत 1,504.26 अरब यूनिट थी, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 1,374.02 अरब यूनिट थी।
उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में बिजली की खपत में लगभग नौ प्रतिशत की वृद्धि अर्थव्यवस्था में उछाल को दर्शाती है।
बिजली मंत्रालय का अनुमान था कि गर्मियों के दौरान देश की बिजली की अधिकतम मांग 229 गीगावाट तक पहुंच जाएगी। लेकिन बेमौसम बारिश होने से अप्रैल-जुलाई में मांग अनुमानित स्तर तक नहीं पहुंच पाई थी।
हालांकि बिजली की अधिकतम मांग जून में 224.1 गीगावाट के नए शिखर पर पहुंच गई थी लेकिन जुलाई में यह गिरकर 209.03 गीगावाट पर आ गई। अगस्त में अधिकतम मांग 238.82 गीगावाट तक पहुंच गई।
इस साल सितंबर में यह 243.27 गीगावाट की रिकॉर्ड ऊंचाई पर था। लेकिन अक्टूबर में अधिकतम मांग 222.16 गीगावाट और नवंबर में 204.86 गीगावाट रही।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस साल गर्मियों के दौरान देश के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश होने से मार्च, अप्रैल, मई और जून में बिजली की खपत प्रभावित हुई।
उन्होंने कहा कि अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में उमस रहने और त्योहारी मांग की वजह से औद्योगिक गतिविधियां तेज होने से बिजली की खपत बढ़ी।
केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने हाल ही में लोकसभा को एक लिखित उत्तर में बताया कि वित्त वर्ष 2013-14 से 2022-23 तक बिजली की मांग में 50.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि बिजली की अधिकतम मांग 2013-14 में 136 गीगावाट थी जो सितंबर, 2023 में 243 गीगावाट पर पहुंच गई। उन्होंने सदन में कहा था कि सरकार बीते नौ वर्षों में 194 गीगावाट बिजली क्षमता जोड़ने में सफल रही है।