मुंबई, आपूर्ति में देरी संबंधी जोखिमों और चार्जिंग स्टेशनों की कमी के बावजूद अगले वित्त वर्ष 2024-25 में कुल बस बिक्री में इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की हिस्सेदारी दोगुनी होकर आठ प्रतिशत हो जाएगी।
क्रिसिल रेटिंग्स ने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि सहायक नीति उपायों और अनुकूल स्वामित्व लागत के चलते ऐसा होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया कि सार्वजनिक परिवहन पर जोर देने के साथ ही कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के कारण कुल बस बिक्री में ई-बसों की हिस्सेदारी बढ़ेगी। अगले वित्त वर्ष में नयी बिक्री में ई-बसों की हिस्सेदारी चालू वित्त वर्ष के लगभग चार प्रतिशत से बढ़कर आठ प्रतिशत हो जाएगी।
हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने के लिए शुरू की गई फेम योजना और राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक बस कार्यक्रम (एनईबीपी) के तहत ई-बसों का उपयोग करने के लिए ठोस प्रयास चल रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि कम परिचालन लागत और कम शुरुआती अधिग्रहण लागत के चलते ई-बसों के प्रति रुझान बढ़ रहा है।
एजेंसी के एक निदेशक सुशांत सरोदे ने कहा कि ई-बसों में वृद्धि इसलिए भी हो रही है क्योंकि 15 वर्षों के अनुमानित जीवन काल में पेट्रोल/डीजल या सीएनजी बसों की तुलना में इनकी स्वामित्व लागत 15-20 प्रतिशत कम है।