कोट्टायम (केरल), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर केरल को गंभीर आर्थिक संकट में धकेलने का आरोप लगाते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनकी सरकार ने राज्य को संवैधानिक अधिकार बहाल कराने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कानूनी लड़ाई शुरू करने का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत शीर्ष अदालत से आदेश लेना है, जो केंद्र-राज्य विवादों को निपटाने से संबंधित है।
उनका बयान राज्य की वाम मोर्चा सरकार द्वारा केंद्र के कथित ‘असंवैधानिक और अवैध’ कदमों के खिलाफ शीर्ष न्यायालय का रुख करने के एक दिन बाद आया है।
विजयन ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने अपने खिलाफ केंद्र की इन ‘भेदभावपूर्ण’ कार्रवाइयों को रोकने का बार-बार आग्रह किया लेकिन केंद्र ने ‘प्रतिशोध’ और तेज कर दिया, जिससे केरल में आर्थिक संकट पैदा हो गया है।
मुख्यमंत्री ने राज्य की आर्थिक स्वायत्तता का अतिक्रमण करने से परहेज करने का आग्रह किया।
उन्होंने आगाह किया कि अगर केंद्र ने राज्य की आर्थिक स्वायत्तता पर अपना अतिक्रमण नहीं रोका, तो केरल गंभीर आर्थिक संकट की ओर धकेल दिया जाएगा।
विजयन ने वाम मोर्चा सरकार के एक संपर्क कार्यक्रम ‘नव केरल सदास’ में यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘इस पृष्ठभूमि में, राज्य सरकार ने केंद्र के भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ उच्च्तम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है क्योंकि वह (केंद्र) भारत के संविधान के संघीय सिद्धांतों से इतर केरल को गंभीर (आर्थिक) संकट में धकेल रहा है।’’
विजयन ने कहा कि याचिका में शीर्ष अदालत से राज्यों के आर्थिक मामलों में केंद्र के असंवैधानिक हस्तक्षेप को रोकने, राज्य की उधार लेने की सीमा में असंवैधानिक तरीके से की गयी कटौती को रद्द करने समेत राज्य सरकारों के अन्य संवैधानिक अधिकारों को बहाल करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
उन्होंने कहा कि याचिका में केंद्र के उन कदमों पर रोक लगाने की भी मांग की गई है जो संविधान में निहित शक्तियों के इस्तेमाल के जरिये राज्यों के संवैधानिक विशेषाधिकारों का अतिक्रमण करते हैं।
उन्होंने कहा कि जीएसटी मुआवजा देने में केंद्र की विफलता और उसके द्वारा राजस्व घाटा अनुदान में कटौती ने दक्षिणी राज्य की वित्तीय हालत को खस्ता कर दिया है।
विजयन ने कहा, ‘‘हमने कर और गैर-कर राजस्व बढ़ाकर और व्यय को प्राथमिकता देकर इस पर काबू पाने की कोशिश की है, लेकिन आर्थिक प्रभाव हमारी सहनशक्ति से कहीं अधिक है।’’