नयी दिल्ली, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले 7.8 प्रतिशत से 8.9 प्रतिशत के बीच थी। आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने एक अनुमान में यह बात कही।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने लॉजिस्टिक लागत पर रिपोर्ट जारी की।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार ने लागत कम करने और भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति जारी की है।
डीपीआईआईटी विश्व बैंक के लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में भारत की रैंकिंग को मौजूदा 38वें स्थान से सुधार कर 25 से नीचे लाने के लिए भी काम कर रहा है।
सिंह ने कहा कि भारत भौतिक और डिजिटल, दोनों बुनियादी ढांचे में तेजी से निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे में हमें अच्छा और विश्वसनीय डेटा मिलना शुरू हो जाएगा, जिसके आधार पर हम डेटा-आधारित योजना बना सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के माध्यम से एक रूपरेखा तैयार की जा रही है, जिसका उपयोग विश्वसनीय लॉजिस्टिक लागत अनुमानों की गणना के लिए किया जाएगा।