श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त ने की ‘नॉर्दर्न प्रॉविंस’ की यात्रा

कोलंबो,  श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने देश के ‘नॉर्दर्न प्रॉविंस’ की यात्रा की और विकास के लिए सहयोग बढ़ाकर एवं विस्तारित आर्थिक साझेदारी के जरिए श्रीलंकाई लोगों के कल्याण को लेकर प्रतिबद्धता जताई।

भारतीय उच्चायोग ने शनिवार को एक बयान में बताया कि बागले ने श्रीलंका के नौ प्रांतों में शामिल नॉर्दर्न प्रॉविंस की 29 नवंबर से एक दिसंबर तक यात्रा की। इस दौरान उच्चायोग के अन्य वरिष्ठ राजनयिक भी उनके साथ थे।

उच्चायुक्त ने ‘हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली’ परियोजना को लागू करने की तैयारियों का आकलन करने के लिए जाफना, नैनातिवु, अनालाइतिवु और डेल्फ्ट के तीन द्वीपों का दौरा किया। भारत सरकार इन द्वीपों के निवासियों की ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुदान के जरिए इस परियोजना में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।

बयान में बताया गया कि इस यात्रा ने क्षेत्र के लोगों की प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं के अनुसार विकास सहयोग बढ़ाकर और विस्तारित आर्थिक साझेदारी के माध्यम से नॉर्दर्न प्रॉविंस सहित पूरे श्रीलंका के लोगों के विकास और कल्याण को लेकर भारत की स्थायी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया।

उन्होंने भारत और श्रीलंका में पारस्परिक रूप से सहमत बिंदुओं के बीच नौका सेवाओं के माध्यम से संपर्क सुविधा बढ़ाने के लिए जारी प्रयासों के तहत थलाईमन्नार और कांकेसंथुराई यात्री प्रतिष्ठानों का दौरा किया।

बयान में कहा गया, ‘‘प्रतिनिधिमंडल ने श्रीलंका के लोगों के लाभ के लिए भारत-श्रीलंका विकास सहयोग साझेदारी के तहत रेलवे बुनियादी ढांचे के विकास के महत्व को प्रमाणित करते हुए आधुनिक रेल डिब्बों में कोलंबो से मेदावाचिया तक की यात्रा की। इन डिब्बों की आपूर्ति भारत से मिले ऋण के तहत की गई है।’’

उच्चायुक्त ने मुरुंकन महाविद्यालय में मन्नार जिले के छात्रों को 1,000 स्कूल बैग दान करने के कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए जाफना विश्वविद्यालय में एक विशेष वित्तीय सहायता योजना भी शुरू की। इसके अलावा उन्होंने जाफना और डेल्फ्ट द्वीप समूह में 500 से अधिक परिवारों को सूखा राशन वितरित किया। जाफना क्षेत्र में 15 मछुआरा सहकारी समितियों को डीप फ्रीजर दान किए गए।

उच्चायुक्त ने श्रीलंका में सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारत के वीर सपूतों को जाफना स्थित भारतीय शांति रक्षा सेना (आईपीकेएफ) के स्मारक पर एक दिसंबर को श्रद्धांजलि दी।

आईपीकेएफ का गठन 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के तहत किया गया था, जिसका उद्देश्य ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ (एलटीटीई) जैसे समूहों और श्रीलंकाई सेना के बीच देश में गृह युद्ध को समाप्त करना था।