दुबई, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) भारत के जलवायु प्रमुख डॉ. आशीष चतुर्वेदी ने कहा कि भारत को वैश्विक जलवायु कार्रवाई की दिशा में यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएन सीओपी28) में अपनी गति और पैरवी के प्रयासों को जारी रखने तथा विकसित देशों से अधिक प्रतिबद्धता और वित्त पोषण की मांग करने की आवश्यकता है।
दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता की शुरुआत शानदार तरीके से हुई, जिसमें देशों ने जलवायु संकट में बहुत कम योगदान देने के बावजूद इसका सबसे ज्यादा खमियाजा भुगत रहे विकासशील और कमजोर देशों को मुआवजा देने के बारे में एक प्रारंभिक समझौता किया।
सीओपी28 के पहले दिन हानि और क्षति कोष के संचालन पर समझौते ने अगले 12 दिनों में और अधिक महत्वाकांक्षी निर्णयों के लिए मंच तैयार किया।
‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में जलवायु और पर्यावरण कार्रवाई प्रमुख डॉ. आशीष चतुर्वेदी ने वैश्विक अनुकूलन प्रयासों में योगदान जारी रखने की भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘‘हानि और क्षति कोष काफी हद तक भारत के लिए भी एक जीत है। हमने अनुकूलन प्रयासों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।’’
डॉ. चतुर्वेदी ने हानि और क्षति कोष की पैरवी पर और जोर देते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमें हानि और क्षति पर आगे बढ़ने के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। हानि और क्षति सुविधा कहां होगी? क्या यह अमीर और शक्तिशाली देश वाले क्षेत्र ग्लोबल नॉर्थ में होगी? क्या यह ग्लोबल साउथ में हो सकती है?’’
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत को सीओपी28 में अपनी गति तथा पैरवी प्रयासों को जारी रखने तथा विकसित देशों से अधिक प्रतिबद्धता और वित्त पोषण मांगने की आवश्यकता होगी।’’
यूएनडीपी के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रयासों पर डॉ. चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘हम नीति पर, राष्ट्रीय स्तर पर अनुकूलन पर काम करते हैं, भारत के अनुकूलन संचार पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ हम निकटता से काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने अनुकूलन परियोजनाओं और वृहद जलवायु वार्ताओं दोनों में भारत के सकारात्मक योगदानों और नेतृत्व का जिक्र किया।
यहां वैश्विक जलवायु वार्ता में 198 देशों के 1,00,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
(यह खबर ‘2023 क्लाइमेट चेंज मीडिया पार्टनरशिप’ के तहत तैयार की गई है जो ‘इंटरन्यूज अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क’ और ‘स्टैनली सेंटर फॉर पीस एंड सिक्योरिटी’ द्वारा आयोजित एक पत्रकारिता फेलोशिप है।