फायदेमंद होती हैं हरी सब्जियां

हरी सब्जियां कितना फायदा करती हैं इस बात से शायद आज कोई भी पढ़ा-लिखा अनजान नहीं। एक मुकम्मल भोजन और संपूर्ण आहार के लिए हरी सब्जी का उसमें शामिल होना अनिवार्य है। यह सच है कि खाने का शौक इंसान को अधिकतर बड़ी उम्र में ही ज्यादा होता है बचपन में तो खेल-कूद, किस्से कहानी और आजकल टी.वी. ही उसे उलझाए रहते हैं। बच्चों को गोलगप्पे, चाट, आईसक्रीम, चॉकलेट, केक, मिठाई ही ज्यादा पसंद होती है। थोड़ी-बहुत मात्रा में तो ये चीजें ठीक हैं किन्तु इनके ज्यादा सेवन से बच्चों को हानि भी हो सकती है। मसलन दांत खराब होना, पेट गड़बड़ होना, गला खराब होना या अगर बच्चे को टांसिलाइटिस है तो टान्सिल का बढ़ जाना। हरी सब्जियों के सेवन न करने से ही हमारे यहां बच्चे स्वस्थ नहीं रह पाते, क्योंकि उनसे प्राप्त होने वाले विटामिन और खनिज बच्चों में बीमारी से लडऩे के लिए ताकत पैदा करते हैं। रिजीस्टेंस क्रिएट करते हैं। इनके अभाव में बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार पडऩे लगते हैं।


प्रतिदिन कम से कम एक पाव हरी सब्जी व्यक्ति को जरूर लेनी चाहिए। सब्जियां हर रोज बदलकर लाई जा सकती हैं ताकि स्वाद भी बना रहे और उनसे भिन्न पोषक तत्व भी मिलते रहें। पालक और टमाटर से पुराने लोग कहा करते थे खून बढ़ता है। यह सही है, क्योंकि इनमे आयरन भरपूर होता है, हीमोग्लोबीन कम होने पर लगातार आयरन युक्त सब्जी, फल खाने से हीमोग्लोबीन सही हो सकता है। वैसे तो शरीर को दस खनिजों की जरूरत होती है किंतु इनमें मुख्य लोहा, फॉस्फोरस और कैल्शियम ही हैं। फॉस्फोरस भिंडी में प्रचूर मात्रा में होता है। प्रत्येक हरी सब्जी में खनिज लवण होते हैं तथा ए से लेकर ई तथा के विटामिन भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। पत्तेदार सब्जियों का अपना ही जायका और महत्व है। धनिये, पोदीने की तो चटनी बनाकर खाई जा सकती है, इससे इनमें निहित विटामिन जरा भी नष्ट नहीं होते, क्योंकि आग पर रखने पकाने से कुछ पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। विटामिन-सी तो हवा से ही नष्ट होने लगता है इसीलिए बहुत पहले से सब्जी काटकर नहीं रखनी चाहिए।  हो सके तो सब्जियों को ज्यादा से ज्यादा सलाद के रूप में खाएं। उनका सूप बनाकर पियें या ब्रेड के साथ सेंडविच के रूप में खाएं। रोटी चावल के साथ तो सब्जी खाई ही जाती है। जिन प्रदेशों में सिर्फ चावल ज्यादा खाया जाता है वहां के लोगों  के शरीर में विभिन्न पोषक तत्वों की कमी पायी जाती है। विटामिन-बी की कमी से वहां पर बेरी-बेरी नामक रोग अक्सर सुना जाता है। झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों में अक्सर सूखा, लीवर का बढ़ जाना, रतौंधी जिसमें धीरे-धीरे दिखाई देना बंद हो जाता है तथा मंद बुद्धि होना जैसे रोगों का बाहुल्य होता है। ये सब कुपोषण के कारण ही होते हैं। छोटी उम्र से अन्न खाने के कारण बच्चों का लीवर बढ़ जाता है। विटामिन-ए की कमी से रतौंधी हो जाती है। यह विटामिन टमाटर, गाजर, शलजम और चुकंदर में काफी होता है। ये कोई महंगी सब्जी नहीं जिसे गरीब न खा सके। ये आसानी से उगाई जा सकती हैं।


 इसके अलावा लौकी, बैगन, पत्ता गोभी, गांठ गोभी तथा हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन-बी पाया जाता है, जिसके सेवन से हाजमा दुरुस्त रहता है।  विटामिन-सी खट्ïटे फल, सब्जी का पर्याय है यह चने, सरसों, मैथी के साग में भी काफी होता है।  गाजर-मूली के अलावा कई मौसमी सब्जियां विटामिन-डी युक्त पाई जाती हैं। हर प्रकार की बीन्स जैसे कंवार की फली, चंवलाफली, टमाटर, पत्तेदार सब्जियों में विटामिन-ई होता है। टमाटर में पाए जाने वाले विटामिन-के से चोट लगने पर हीलिंग शीघ्र होती है।