तिरुवनंतपुरम, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बृहस्पतिवार को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और विपक्षी दल कांग्रेस पर राज्य में शांति भंग करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।
विजयन ने कहा कि खान के कृत्य पहले ही इस बात का संकेत दे चुके हैं कि वह ऐसे लोगों का हिस्सा हैं, जिनकी मंशा केरल में शांतिपूर्ण वातावरण को नष्ट करने की है।
राज्य सरकार के पहुंच कार्यक्रम नव केरल सदास से इतर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘उनका (राज्यपाल का) इरादा उकसाने और केरल में शांति भंग करने के लिए राज्य में संघर्ष का माहौल तैयार करना है।’
विजयन ने कहा कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के तौर पर खान द्वारा सीनेट नियुक्तियों के खिलाफ जिम्मेदाराना तरीके से विरोध प्रदर्शन किया था।
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने (एसएफआई) ऐसा कोई तरीका नहीं अपनाया, जिससे किसी भी प्रकार के संघर्ष की स्थिति पैदा होती, जैसा कि राज्यापल करना चाहते थे। वे (एसएफआई) उनके (खान) स्तर तक नहीं गिरे। वे उनके जाल में नहीं फंसे और इसकी सराहना किए जाने की जरूरत है।’
विजयन ने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों और उनके एजेंट राज्य के उच्च शिक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाईयों पर पहुंचने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश का भविष्य आने वाली पीढ़ी के कंधों पर टिका है और इसलिए जो लोग जातिवाद और छात्रों के दिमाग में नफरत भरने का जहर घोल रहे हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने केरल छात्र संघ (केएसयू) द्वारा आयोजित मार्च पर सवालिया निशान उठाते हुए पूछा कि वे कौन से छात्र संबंधी मुद्दे उठा रहे हैं?
उन्होंने दावा किया कि केएसयू के मार्च का लक्ष्य एक दिन पहले राज्य सचिवालय के बाहर विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन द्वारा किए गए हिंसा के आह्वान को लागू करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इसलिए मंशा राज्य में शांति भंग करने की है। इससे उन्हें (कांग्रेस) क्या फायदा होगा? इस तरह का रुख क्यों? क्या एक जिम्मेदार पार्टी या संगठन इस तरह का रुख अख्तियार करता है? दुर्भाग्यवश विपक्ष के नेता खुद हिंसा का आह्वान कर रहे हैं। हमने कल (बुधवार) देखा था।’
विजयन ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष के नेता के ये कृत्य इस बात का संकेत देते हैं कि उनकी योजना काम नहीं कर रही हैं, जिसको लेकर वे हताश हैं।