कश्मीर की सुंदर घाटी की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के साथ प्रेम की एक खूबसूरत गाथा पेश करता टेलीविजन शो ‘पश्मीना-धागे मोहब्बत के’ में अभिनेत्री गौरी तेजवानी, पश्मीना की मां की भूमिका में हैं।
इस टीवी शो में ईशा शर्मा और निशांत मलकानी ने क्रमश: पश्मीना और राघव की भूमिकाओं में जान डाल दी हैं लेकिन सबसे कमाल की अदाकारी गौरी तेजवानी की रही जिन्होंने पश्मीना की मां प्रीति सूरी की अहम भूमिका निभाई है।
प्रीति एक ऐसी मजबूत महिला है जिनके विश्वास ने ही पश्मीना को आत्म विश्वास से लबरेज करते हुए आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया ।
गौरी तेजवानी इस शो का हिस्सा बनने को एक अविश्वसनीय घटना मानती है। उनका कहना है कि ‘प्रेम में विश्वास करने वाली प्रीति जैसे चरित्र को पर्दे पर जीवंत करना उनके लिए एक यादगार और अनूठा अवसर रहा है। जिस तरह से दर्शक इस शो का आनंद ले रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा आनंद उन्होंने इस किरदार को निभाते हुए लिया’।
गौरी तेजवानी ने इस शो में प्रीति सूरी का जो किरदार निभाया, लेखक ने अपनी लेखनी के जरिये सारा फोकस उनके इसी किरदार पर केन्द्रित किया है। वाकई वह एक ऐसा किरदार है जिसके लिए गए फैसले और कार्य, न केवल दो प्रेमियों के रिश्ते को आकार देते हैं बल्कि उन दोनों के भाग्य में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
गौरी तेजवानी का जन्म 16 सितंबर 1977 को जम्मू के एक मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता सुभाष वासुदेव प्रधान आर्मी अफसर थे जो रिटायर होने के बाद पुणे में सैटल हो गये।
गौरी के सबसे बड़े भाई इंजीनियर और छोटी बहन डॉक्टर हैं जबकि गौरी अपने परिवार की अकेली ऐसी सदस्य हैं, जिन्होंने ग्लैमर की दुनिया में अपना करियर बनाया।
टेलीविजन शो ‘नूरजहां’ (2000-2001) के जरिये उन्होंने छोटे पर्दे पर कदम रखा और देखते ही देखते लोग उनके दीवाने हो गए। फिर आत्म विश्वास से भरी हुई गौरी ने, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ (2004-2006)की बहू बनकर अपने प्रति लोगों की चाहत को और भी बढा दिया।
उसके बाद तो देखते ही देखते ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ (2005) ‘कैसा ये प्यार है’ (2006) ‘कसम से’ (2007) ‘कुमकुम-एक प्यारा सा बंधन’ (2009) ‘तू आशिकी’ (2017-2018) और ‘पश्मीना – धागे मोहब्बत के’ (2023) जैसे शो के जर्ये वह छोटे पर्दे की स्टार एक्ट्रेस बन गईं।
करियर के दूसरे टीवी शो ‘कुटुम्ब’ (2001-2002) में काम करते वक्त गौरी प्रधान को अपने को-स्टार हितेन तेजवानी से प्यार हो गया. हालांकि इसके पहले भी दोनों एक एड फिल्म की शूटिंग के दौरान मिल चुके थे लेकिन ‘कुटुम्ब’ (2001-2002) में काम करते-करते दोनों बेहद करीब आते चले गए। काफी वक्त तक दोनों लिव इन में भी रहे। हितेन शादीशुदा थे लेकिन उन्होंने यह बात गौरी से छिपाई नहीं और उनकी इस ईमानदारी से प्रभावित होकर ही गौरी ने इस तरह 2004 में हितेन को हमसफर के रूप में चुन लिया। इस तरह वह गौरी प्रधान से गौरी तेजवानी बन गईं।