पंजाब को छोड़कर अन्य राज्यों ने पराली जलाने को रोकने में अहम प्रगति की : यादव

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नयी दिल्ली,  पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि हरियाणा और कई अन्य राज्यों ने पराली जलाने के मामलों को रोकने में अहम प्रगति की है, लेकिन पंजाब में ऐसा नहीं हुआ है।

यादव ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पराली जलाने की सबसे अधिक घटनाएं पंजाब के संगरूर जिले में हुईं जो मुख्यमंत्री भगवंत मान का गृह जिला है।’

उन्होंने कहा कि केंद्र ने खेतों में पराली जलाने पर रोक के लिए राज्य सरकारों को विशेष अनुदान दिया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा और अन्य राज्यों में पराली जलाने पर रोक की दिशा में जो प्रगति दिखी है, वह पंजाब में नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र द्वारा सुझाए गए उपायों पर अमल किया जाता, तो पंजाब में भी ऐसा होता।”

यादव ने कहा कि केंद्र ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने पर रोक के लिए 2,440 करोड़ रुपये का कोष जारी किया है।

इस सवाल पर कि क्या केंद्र वायु प्रदूषण के प्रभाव के बारे में बढ़ते प्रमाणों के मद्देनजर 1981 के वायु प्रदूषण कानून और 2009 के राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक की समीक्षा करेगा, यादव ने कहा कि केंद्र ने प्रदूषण कम करने के लिए देशभर में 131 नगरों की पहचान की है और वहां मानक तय किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इन शहरों में वायु प्रदूषण में संतोषजनक सुधार हुआ है।

मंत्री ने कहा कि इन शहरों में अच्छा काम करने वाले कुछ नगर निगमों को पुरस्कृत भी किया गया है।

प्लास्टिक की बोतलों के बढ़ते उपयोग के संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्र ने पूरे देश में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है और राज्य से इसे लागू करने में सहायता करने का भी अनुरोध किया है।

उन्होंने विभिन्न पूरक सवालों के जवाब में कहा कि सरकार पश्चिमी घाट में पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) की आधिकारिक तौर पर पहचान करने की खातिर मसौदा अधिसूचना को अंतिम रूप देने के लिए नियुक्त नवगठित समिति की रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रही है।

पर्यावरण मंत्रालय ने कस्तूरीरंगन समिति की रिपोर्ट के आधार पर 2014 में ईएसए की पहचान करते हुए एक मसौदा अधिसूचना प्रकाशित की थी और इसके संरक्षण के लिए उपाय सुझाए थे।

कई राज्यों की आपत्तियों को देखते हुए, माधव गाडगिल समिति और कस्तूरीरंगन समिति के बाद एक नयी समिति गठित की गई थी, जिसे पिछले साल अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी लेकिन उसने और समय मांगा है।

यादव ने कहा, “…जमीनी स्तर की समस्याओं के हल के लिए पूर्व वन महानिदेशक संजय कुमार की अध्यक्षता में एक और समिति का गठन किया गया था। मेरा मानना है कि समिति संतोषप्रद ढंग से काम कर रही है। हम समिति की रिपोर्ट की प्रतीक्षा कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि पश्चिमी घाट का संरक्षण देश की पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण है। छह राज्यों में फैले इस क्षेत्र में 4,000 से अधिक पौधों की किस्में हैं, जो देश की कुल पौधों की किस्मों का 27 प्रतिशत हैं।

यादव ने कहा कि भूमि उपयोग, खनन, जल संसाधन और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण पश्चिमी घाट में भूक्षरण हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार ईएसए की सुरक्षा के लिए पेड़ लगाने सहित कई उपाय कर रही है।