ऊर्जा से भरपूर असाधारण अभिनेता ओमपुरी

ओमपुरी का नाम भारतीय सिनेमा के कालजयी अभिनेताओं की सूची में शुमार है। उनके अभिनय का हर अंदाज दर्शकों को प्रभावित करता है। रूपहले पर्दे पर जब उनका हंसता-मुस्कुराता चेहरा दिखता है, तो दर्शकों को भी खुशियों का अहसास होता है और उनके दर्द में दर्शक भी दु:खी होते हैं।



ओमपुरी, हिन्दी फिल्मी दर्शकों के चहेते हैं। लगभग चार दशकों के अपने प्रभावी उपस्थिति से दर्शकों का आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। नई पीढ़ी के अभिनेताओं की मौजूदगी में भी अपनी परिपक्व अभिनय की छाप छोड़ रहे ओमपुरी के अभिनय के प्रशंसक केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। किसी सामान्य व्यक्ति की तरह दिखने वाले इस असाधारण अभिनेता के प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग है, जिसमें आम दर्शकों से लेकर शीर्ष के अभिनेता भी हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी ओमपुरी के अभिनय में ताजगी और ऊर्जा है।


श्याम बेनेगल और गोविंद निहलानी जैसे दिग्गज निर्देशकों के प्रिय ओमपुरी नई पीढ़ी के अभिनेताओं के प्रेरणा स्रोत हैं। उनके सान्निध्य में कई युवा अभिनेताओं ने अपनी अभिनय- प्रतिभा को निखारा है, संवारा है। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय का औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने हिन्दी फिल्मों का रुख किया। घासीराम कोतवाल में वे पहली बार हिन्दी फिल्मी दर्शकों से रू-ब- रू हुए। घासीराम की संवेदनशील भूमिका में अपनी अभिनय क्षमता का प्रभावी परिचय ओमपुरी ने दिया और धीरे-धीरे वे समानांतर फिल्मों के सर्वाधिक लोकप्रिय अभिनेता के रूप में उभरने लगे। उनकी छवि धीर गंभीर अभिनेता की बनगई। भवानी भवई, स्पर्श, मंडी, आक्रोश, शोध जैसी फिल्मों में ओमपुरी के सधे हुए अभिनय का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोला, पर उनके फिल्मी सफर में मील का पत्थर साबित हुई, अद्र्धसत्य, अद्र्धसत्य में वे में युवा, जुझारू और आंदोलनकारी पुलिस ऑफिसर की भूमिका में  बेहद जंचे।


धीरे-धीरे ओमपुरी समानांतर सिनेमा की जरूरत बन गए। समानांतर सिनेमा जगत में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ-साथ ओमपुरी ने मुख्य धारा की फिल्मों का भी रुख किया। कभी नायक, कभी खलनायक तो कभी चरित्र अभिनेता और हास्य अभिनेता के रूप में वे हर दर्शक वर्ग से रू-ब-रू हुए। धीरे-धीरे ओमपुरी के अभिनय के विविध रंगों से दर्शकों को परिचित होने का मौका मिला। जाने दो भी यारों में उन्होंने अपने हल्के-फुल्के अंदाज से दर्शकों को खूब हंसाया तो, सनी देओल, अभिनीत नरसिम्हा में सूरज नारायण सिंह की नकारात्मक भूमिका में वह छा गए। यदि उन्होंने द्रोहकाल और धारावी जैसी गंभीर फिल्में की तो डिस्को डांसर और गुप्त जैसी कमर्शियल फिल्मों में भी अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करायी। चाची 420, हेरा फेरी, मेरे बाप पहले आप, मालामाल वीकली में ओमपुरी हंसती-गुदगुदाती भूमिकाओं में दिखे तो शूट ऑन, महारथी, देव और दिल्ली 6 में चरित्र अभिनेता के रूप में दिखाई दिये।


दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुके ओमपुरी हिंदी फिल्मों की उन गिने-चुने अभिनेताओं की सूची में शामिल हैं, जिन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनायी है। ईस्ट इज ईस्ट, सिटी ऑफ बॉय, वुल्फ, द घोस्ट एंड डॉर्कनेस जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी उन्होंने उम्दा अभिनय की छाप छोड़ी है।


ओमपुरी आज भी हिन्दी फिल्मों में अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। फर्क बस इतना है कि इन दिनों वे नायक या खलनायक नहीं बल्कि, चरित्र या हास्य अभिनेता के रूप में अधिक देखे जा रहे हैं।