अमेरिका ने गाजा में तत्काल मानवीय संघर्षविराम संबंधी प्रस्ताव पर वीटो इस्तेमाल किया

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संयुक्त राष्ट्र,  अमेरिका ने गाजा में तत्काल मानवीय संघर्ष विराम की मांग कर रहे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग सभी सदस्यों और कई अन्य देशों द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव के खिलाफ विश्व निकाय में शुक्रवार को वीटो का इस्तेमाल किया।

प्रस्ताव के समर्थकों ने तीसरे महीने भी युद्ध जारी रहने पर और लोगों की मौत तथा तबाही को लेकर आगाह किया और इसे दुखद दिन बताया।

संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव के पक्ष में एक के मुकाबले 13 वोट पड़े। ब्रिटेन मतदान से दूर रहा।

अमेरिका के उप राजूदत रॉबर्ट वुड ने इजराइल पर सात अक्टूबर को हमास के हमले की निंदा करने या इजराइल के अपनी रक्षा करने के अधिकार को स्वीकार करने में नाकामी के लिए वोट को लेकर सुरक्षा परिषद की निंदा की। हमास के आतंकवादियों ने इजराइल पर हमले के दौरान करीब 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी।

उन्होंने कहा कि सैन्य कार्रवाई रोकने से हमास को गाजा पर शासन जारी रखने और ‘‘अगले युद्ध के लिए बीज बोने’’ में मदद मिलेगी।

वुड ने मतदान से पहले कहा, ‘‘हमास स्थायी शांति, दो-राष्ट्र समाधान नहीं देखना चाहता है। अमेरिका स्थायी शांति का पुरजोर समर्थन करता है जिसमें इजराइली और फलस्तीनी दोनों शांत एवं सुरक्षापूर्ण माहौल में रह सकें लेकिन हम तत्काल संघर्ष विराम का समर्थन नहीं करते हैं।’’

फलस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, गाजा में इजराइली सेना के अभियान में 17,400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं जिनमें से 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे हैं तथा 46,000 से अधिक घायल हुए हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन पर संघर्ष विराम का विरोध छोड़ने के लिए दबाव बनाने के वास्ते मिस्र, जॉर्डन, फलस्तीनी प्राधिकरण, कतर, सऊदी अरब और तुर्किये के विदेश मंत्री शुक्रवार को वाशिंगटन में थे लेकिन उनके प्रयास व्यर्थ हो गए। संयुक्त राष्ट्र में मतदान के बाद ही विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से उनकी मुलाकात हुई।

संयुक्त अरब अमीरात के उप राजदूत मोहम्मद अबूशाहब ने मतदान से पहले कहा कि यह प्रस्ताव युद्ध खत्म करने और फलस्तीनी लोगों की जान बचाने के प्रयासों के लिए वैश्विक समर्थन को दर्शाता है। मतदान के बाद उन्होंने अमेरिका के वीटो पर काफी निराशा जतायी।

संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोलिंस्की ने मतदान को ‘‘पश्चिम एशिया के इतिहास में सबसे काले दिनों में से एक’’ बताया और अमेरिका पर ‘‘हजारों लोगों को मौत की सजा सुनाने’’ का आरोप लगाया।