चेन्नई, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत के बुनियादी पहलुओं को चुनौती देने के लिए एक ठोस अभियान जारी है, लेकिन ये विमर्श ऐतिहासिक रूप से गलत था और यह समझ की कमी को उजागर करता है।
उन्होंने यहां ‘थिरुमुराई थिरुविझा’ समारोह में कहा कि भाषाओं, धर्मों और रीति-रिवाज के मामले में भारी विविधता के बावजूद, भारत के लोग साझा संस्कृति और विरासत के समान धागे से बंधे हुए हैं।
मदुरै की देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर के दिव्य विवाह के अवसर पर एक दिवसीय उत्सव का आयोजन किया गया था।
ईस्ट कोस्ट रोड, नीलांकरई में आयोजित कार्यक्रम में 10 शैव अथीनम (मठ महंत), पूर्व विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) और तमिलनाडु के भाजपा के राष्ट्रीय सह-प्रभारी पी. सुधाकर रेड्डी सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।
सिंह ने कहा, “भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता के मूलभूत पहलुओं को चुनौती देने के लिए हाल के दिनों में एक ठोस अभियान चलाया गया है। कुछ शरारती तत्व लगातार इस धारणा का प्रचार करते हैं कि भारत एक राष्ट्र नहीं है, बल्कि अलग-अलग राज्यों का मात्र एक संघ है।”
उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान के बारे में यह गुमराह करने वाला विमर्श ऐतिहासिक रूप से गलत था और ये या तो भारतीय संदर्भ में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की समझ की कमी या सभी भारतीय चीजों के प्रति गहरी नफरत को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, “भारत की एकता पर सवाल उठाने का विचार गलत है, एक बुरा विचार है। जो विघटनकारी और अलगाववादी प्रवृत्तियां उभरी हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनसे प्रभावी ढंग से निपट रहे हैं। इससे हमारी सांस्कृतिक एकता का राष्ट्रीय ताना-बाना सक्रिय रूप से मजबूत हो रहा है।”