आज के दौर में लड़के एवं लड़कियां सभी सुंदर आकर्षक दिखने के लिए नए-नए सौंदर्य प्रसाधन, केश सज्जा, आकर्षक वस्त्रों और न जाने क्या-क्या नहीं करते। कभी-कभी इसी कारण वे स्वयं ही अपने उपहास का कारण बन जाते हैं। सादगी से रहने वाले युवक-युवतियों का अपना एक अलग स्थान होता है। सादगी से रहने वाले लोगों की सभी खुले दिल से सराहना करते हैं। यही नहीं बल्कि उन्हें सादगी के कारण एक विशेष सम्मान, अपनापन सहज ही प्राप्त हो जाता है। यदि आपका पहनावा शालीन, व्यवहार मधुर, व्यक्तित्व आकर्षक, दया व सेवा की भावना, वाणी में कोमलता, स्वभाव में विनम्रता जैसे मानवीय गुण विद्यमान हैं तो आपको न तो किसी खास आकर्षक वस्त्रों की आवश्यकता है और न ही अपने आपको अत्यधिक संवारने की। क्योंकि कभी-कभी सुंदर लेकिन नारीगुणों से रहित लड़कियों से मिलकर उनकी सुंदरता संदिग्ध लगने लगती है।
सुप्रसिद्ध फिल्मी गीतकार इंदीवर ने फिल्म मोहरा के लिए एक बहुत ही खूबसूरत गीत लिखा है- (न कजरे की धार न मोतियों के हार न कोई किया सिंगार तुम कितनी सुंदर हो।) एक ओर जहां यह गीत गीतकार की स्वस्थ एवं सुंदर मानसिकता का परिचायक है वहीं दूसरी और पश्चिमी सभ्यता का तेजी से अंधानुकरण करती आज की युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता की ओर देखने को पे्ररित करती है। इस गीत में गीतकार ने अपने गीत के द्वारा यह स्पष्ट किया है कि तुम्हारी सादगी बिना कजरे की धार और बिना मोतियों के हार से भी ज्यादा अच्छी है।
वस्त्रों का काम तन ढांकना है ना कि तन दिखाना। कोई लड़की या कोई महिला विशेष अवसरों पर भड़कीले कपड़े पहनती है, अत्यधिक मेकअप, विशेष किस्म की हेयर स्टाइल से सुसज्जित होकर जब पार्टी में जाती है तो वहां मौजूद लोग उसे किस दृष्टि से देखते हैं यह वही जानती है और कई बार ऐसी स्थिति में उस महिला को बीच कार्यक्रम से जाना पड़ सकता है। एक महिला एक पार्टी में तंग पोशाक पहनकर पहुंची। बिखरे हुए बाल, होठों पर लाली देखकर लड़के कमेंट्स करने लगे। यही नहीं बल्कि दो-चार लड़के तो गाना गाने लगे।
नतीजन उसे पार्टी के मध्य से ही जाना पड़ गया। इसके विपरीत एक साधारण शख्सियत की लड़की जो सादगी प्रिय थी ने अपनी गजल द्वारा सबको मनमोहित कर दिया।
एक बार एक लड़की को मात्र इसलिए नौकरी मिलते-मिलते रह गई क्योंकि उसकी शिक्षा तो अच्छी थी मगर उसका ध्यान प्रश्नकर्ता से अधिक अपने उड़ते और खुशबू बिखेरते हुए बालों पर था जो बार-बार उसके चेहरे पर छा जाते थे। तब प्रश्नकर्ता ने उसे ब्यूटी पार्लर खोल लेने की सलाह दी। इसके विपरीत एक साधारण किंतु सभ्य लड़की को यह नौकरी सहज ही प्राप्त हो गई। यह इसलिए संभव हो सका क्योंकि हर व्यक्ति की मानसिकता एक जैसी तो नहीं होती।
फिल्म जगत में ऐसी अनेक हस्तियां हैं जिन्होंने अपनी सादगी के ही बल पर फिल्म संसार ही नहीं बल्कि अपने करोड़ों दर्शकों के दिलों में सम्मानित स्थान हासिल किया हुआ है। दर्द की देवी मीना कुमारी, कला अभिनेत्री शबाना आजमी, अभिनय सम्राट दिलीप कुमार, निर्माता-निर्देशक स्व. राजकपूर साहब ये कुछ ऐसे ही नाम हैं जिन्होंने अपनी सादगी के बल पर ही दर्शकों के दिलोदिमाग पर अमिट छाप छोड़ी है। इसके विपरीत आज फिल्मी दुनिया में रोज-रोज ही नई-नई अभिनेत्रियों का आगमन होता है, जो तड़क-भड़क वाले कपड़े, ग्लैमर, चकाचौंध के बल पर मूसलाधार बारिश की तरह आती हैं और मंद-मंद फुहारों की तरह कब चली जाती हैं यह खुद उनको भी पता नहीं चलता।
वैसे सुंदरता किसे प्रभावित नहीं करती, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य की बात ही कुछ और है। बेहतर होगा आपको सिंपल एंड स्वीट कहा जाए क्योंकि मानवीय गुणों, उच्च विचारों, आदर्शों से आप सहज ही लोकप्रिय बन सकती हैं। सुंदरता के सही उपासक तन से ज्यादा मन की सुंदरता को महत्व देते हैं, जितना ध्यान आप अपने तन पर देती हैं यदि उतना ही ध्यान अपने विचारों, गुणों को निखारने में दें तो आपका व्यक्तित्व आकर्षक रूप से निखर सकता है और लोग आपकी तारीफ भी करेंगे। वैसे सुंदर दिखना खराब नहीं है। अपने आपको इस तरह संवारा जाए कि आप तारीफ की सच्ची हकदार तो कहलाएं लेकिन कोई भी आपकी हंसी न उड़ाए।
इस तरह आप भी सादगी से परिपूर्ण व्यक्तित्व, शालीन पहनावा, मधुर व्यवहार, उच्च आदर्श, स्वभाव में विनम्रता, वाणी में कोमलता, दया, सेवा व सहानुभूति जैसे मानवीय गुणों के आभूषण पहनकर अपनी सादगी के बल पर वास्तविक तारीफ की सच्ची हकदार कहला सकती हैं।