डीपफेक पर वैष्णव ने चेताया- कार्रवाई नहीं की तो सोशल मीडिया मंचों को नहीं मिलेगा संरक्षण

IT-Minister-Ashwini-Vaishnav

नयी दिल्ली,  डीपफेक मुद्दे पर बढ़ती चिंताओं के बीच सरकार ने सोशल मीडिया मंचों से इस मुद्दे पर मिलने की पूरी तैयारी कर ली है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि सरकार जल्द ही डीपफेक मुद्दे पर सोशल मीडिया मंचों से चर्चा करेगी और अगर मंचों ने इस संबंध में पर्याप्त कदम नहीं उठाए तो उन्हें आईटी अधिनियम के ‘सेफ हार्बर प्रतिरक्षा’ खंड के तहत संरक्षण नहीं मिलेगा।

वीडियो में किसी व्यक्ति के चेहरे या शरीर को डिजिटल रूप से बदलने को डीपफेक कहते हैं। मशीन लर्निंग और कृत्रिम मेधा (एआई) से बने ये वीडियो किसी को भी आसानी से धोखा दे सकते हैं।

वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने हाल ही में डीपफेक मुद्दे पर कंपनियों को नोटिस जारी किया था और प्लेटफार्मों ने जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि लेकिन कंपनियों को ऐसी सामग्री पर कार्रवाई करने में अधिक आक्रामक होना होगा।

वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा, “वे कदम उठा रहे हैं…लेकिन हमें लगता है कि कई और कदम उठाने होंगे। ..और हम बहुत जल्द …शायद अगले 3-4 दिनों में सभी मंचों की एक बैठक करने जा रहे हैं। हम उन्हें इस पर विचार-मंथन के लिए बुलाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि मंच इसे (डीपफेक) रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास करें और अपने तंत्र को साफ़ करें।”

यह पूछे जाने पर कि क्या बैठक के लिए मेटा और गूगल जैसे बड़े मंचों को बुलाया जाएगा, मंत्री ने सकारात्मक जवाब दिया।

वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया कि आईटी अधिनियम के तहत मंचों को वर्तमान में जो ‘सुरक्षित हार्बर प्रतिरक्षा’ प्राप्त है, वह तब तक लागू नहीं होगी जब तक कि वे पर्याप्त कार्रवाई नहीं करते।

इससे पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगाह किया था कि कृत्रिम मेधा (एआई) द्वारा बनाए गए डीपफेक बड़े संकट का कारण बन सकते हैं और समाज में असंतोष पैदा कर सकते हैं। उन्होंने मीडिया से इसके दुरुपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को शिक्षित करने का आग्रह किया।

हाल ही में प्रमुख अभिनेताओं को निशाना बनाने वाले कई डीपफेक वीडियो वायरल हुए, जिनसे आक्रोश फैल गया।

पिछले हफ्ते, केंद्र ने प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों को गलत सूचना, डीपफेक और नियमों का उल्लंघन करने वाली अन्य सामग्री की पहचान करने और रिपोर्ट किए जाने के 36 घंटे के भीतर उन्हें हटाने के लिए एक सलाह जारी की थी।

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि डीपफेक एक बड़ा उल्लंघन है और विशेष रूप से महिलाओं को नुकसान पहुंचाता है।

एप्पल से जुड़े खतरे की अधिसूचना के मुद्दे संबंधी प्रश्न पर वैष्णव ने कहा कि एप्पल अपनी जांच कर रही है और सीईआरटी-इन (सरकार की साइबर सुरक्षा एजेंसी) भी इसकी जांच कर रही है।

लगभग 15 दिन पहले विपक्ष के कई नेताओं ने दावा किया था कि उन्हें एप्पल से एक अलर्ट मिला है जिसमें उन्हें चेतावनी दी गई है कि ‘राज्य-प्रायोजित हमलावर उनके आईफ़ोन के साथ दूर से छेड़छाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं’ और सरकार द्वारा कथित तौर पर हैकिंग की गई है। वैष्णव ने इस आरोप को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए गहन जांच का आश्वासन दिया था।