हम यह बात सुनते रहते हैं कि अपना इलाज खुद करना खतरनाक होता है लेकिन अपना इलाज डाक्टर से करवाना क्या खतरनाक नहीं होता? मेरा मानना है कि जितना खतरनाक अपना इलाज खुद करना है, उतना ही खतरनाक है डाक्टर से इलाज करवाना।
आपको मेरा यह विचार कितना मूर्खतापूर्ण विचार लग रहा है, इसका अन्दाजा मुझे है लेकिन मैं मजाक नहीं कर रही हूं। मैं एक गम्भीर विषय आपके सामने रख रही हूँ जो आपकी जिन्दगी से जुड़ा हुआ है। इसे आप मजाक में बिल्कुल ही न लें तो बेहतर है। जब आप मेरी पूरी बात समझेंगे तब आप मानेंगे कि डाक्टर से इलाज करवाना भी खतरनाक है और खुद ही अपना इलाज करना भी उतना ही खतरनाक है।
आज हमारे देश में जितने लोग इलाज करवाते-करवाते मर रहे हैं आपको इसका अन्दाजा भी नहीं है। मुझे भी नहीं है। यह तो तब पता चलता है जब आप लोगों के हालातों को नजदीक से समझने की कोशिश करते हैं। आप अपने आसपास नजर दौड़ायेंगे तो जानेंगे कि कितने ही लोग डाक्टरों द्वारा ठीक किये जा रहे हैं और कितने ही बीमार किये जा रहे हैं। यह सच है कि डाक्टर एक बीमारी का इलाज करते-करते दूसरी बीमारी आपको थमा देते हैं। इसलिये मैं कह रही हूँ कि आप अपना इलाज खुद करिये।
अब सवाल उठता है कि बिना चिकित्सीय ज्ञान के आप अपना इलाज कैसे कर सकते हैं। वास्तव में अपना इलाज खुद करने से मेरा यही तात्पर्य है कि आपको ये समझना होगा कि किस बीमारी का इलाज, किस चिकित्सा पद्वति में और किस चिकित्सक द्वारा किया जाना है, यह बात आपको जाननी बहुत जरूरी है।
इलाज तो हमें डाक्टर से ही करवाना होता है लेकिन गलत डाक्टर के हाथों में पड़कर हम बीमारी से छुटकारा पाने की जगह और जकड़ते जाते हैं। डाक्टर और अस्पताल भी अदालतों की तरह हो गये हैं। अदालतों में आदमी मर जाता है लेकिन उसका फैसला नहीं होता और डाक्टरों के पास आदमी जाता है तो वो जाता ही रहता है लेकिन ठीक नहीं होता, ऐसा मैं रोजमर्रा की जिन्दगी में होने वाली साधारण बीमारियों के लिये कह रही हूँ और कुछ गम्भीर बीमारियों के लिये भी। हम जानते हैं कि हमारे पास कई चिकित्सा पद्वतियाँ मौजूद है लेकिन कोई भी बीमारी होने पर हम फटाफट एक ऐलोपैथिक डाक्टर के पास पहुँच जाते हैं जबकि कई ऐसी बीमारियां हैं जिनका इलाज ऐलोपैथी से बेहतर अन्य चिकित्सा पद्धतियों में मौजूद हैं।
यह भी एक सच है कि जब आप किसी बीमारी के इलाज के लिये किसी ऐलोपैथिक डाक्टर के पास जाते हैं तो वो कभी भी आपको दूसरी चिकित्सा पद्धति वाले डाक्टर के पास नहीं भेजेगा। अब चाहे उसके पास बेहतर इलाज हो या न हो लेकिन जब आप अन्य चिकित्सा पद्वति वाले डाक्टरों के पास जाते हैं तो उचित इलाज न होने पर वो आपको किसी दूसरी जगह इलाज करवाने की सलाह दे देते हैं। अब यह अलग बात है कि उनसे से भी कुछ लालची डाक्टर जबरदस्ती आपका इलाज करने की कोशिश कर सकते हैं। यही से मेरी बात शुरू होती है। आपको यही फैसला करना है कि आप जिस डाक्टर से इलाज करवा रहे हैं वो आपका सही इलाज कर रहा है या नहीं, इसे जानने की कोशिश करनी चाहिये।
कई बार एक मामूली सी बीमारी का इलाज करते-करते जान पर बन आती है। आप किसी भी डाक्टर या अस्पताल के हाथों में अपनी जिन्दगी सौंपकर तसल्ली से नहीं बैठ सकते, अगर आपको लग रहा है कि आप ठीक नहीं हो रहे हैं तो आपके लिये जरूरी है कि आप अन्य योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। जिस तरह से हमारे देश में अन्य चिकित्सा पद्वतियों के भी डाक्टर हर जगह उपलब्ध हैं, उससे जरूरी हो गया है कि सरकार और समाज में यह जागरूकता पैदा की जाये कि किस बीमारी का इलाज कहाँ करवाना सबसे बेहतर है।
सारा विश्व एंटीबायोटिक दवाईयों के बढ़ते इस्तेमाल से सहमा हुआ है। आज ज्यादातर बीमारियों में ऐलोपैथिक डाक्टर एंटीबायोटिक दवाइयों लिख देते हैं जबकि कई बीमारियों का इलाज अन्य चिकित्सा पद्वतियों में साधारण दवाइयों द्वारा किया जा सकता है । अत्यधिक इस्तेमाल के कारण एंटीबायोटिक दवाइयां अपना असर खो रही है और जल्दी ही आने वाले वक्त में ये किसी को भी ठीक नहीं कर पायेंगी। एंटीबायोटिक दवाइयों के इस्तेमाल को कम करने का एकमात्रा तरीका यही है कि जिन बीमारियों का इलाज बिना एंटीबायोटिक के दूसरी चिकित्सा पद्वतियों में किया जा सकता है, किया जाना चाहिये। एंटीबायोटिक दवाइयों के बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट होते हैं। उनसे बचने के लिये भी ये जरूरी हो गया है कि आप अन्य चिकित्सा पद्वतियों को जानने की कोशिश करें।
वर्तमान में चिकित्सा व्यवसाय पूरी तरह से एक व्यापार बन चुका है इसमें ज्यादातर ऐसे लोग आ चुके हैं जो मरीज को ठीक करने की जगह अपनी जेब भरने को वरीयता देते हैं। निजी अस्पतालों का हाल आप सब जानते हैं, इसलिये कभी भी जब आपको किसी निजी अस्पताल द्वारा मरीज की हालत के बारें में डराया जा रहा हो तो एक बार किसी दूसरे भरोसेमन्द चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें। कितनी बार देखा गया है कि निजी अस्पताल वाले आईसीयू में मरीज को डालकर उसकी गम्भीर हालत का बहाना बनाकर उसके रिश्तेदारों से वसूली करते हैं। ऐसे व्यापारियों से बचने के लिये आपको जागरूक होना होगा।
अब जरूरी हो गया है कि आप चिकित्सा विज्ञान की कामचलाऊ जानकारी प्राप्त करें ताकि आपको बीमारी की गम्भीरता का अन्दाजा हो सके और आप बेहतर तरीके से जान सकें कि आपका इलाज सही तरीके से और सही कीमत पर किया जा रहा है। आपके लिये जरूरी हो गया है कि आप हमारे देश में मौजूद अन्य चिकित्सा पद्वतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें ताकि आपको पता लग सकें कि किस बीमारी में किस चिकित्सक से बेहतर इलाज करवाया जा सकता है। यह जरूरी नहीं है कि आप एक डाक्टर से इलाज बन्द करके ही दूसरे डाक्टर के पास जायें। आपको अपनी बीमारी में सुधार नहीं नजर आ रहा है तो आप दूसरे चिकित्सक से सलाह ले सकते हैं कि आपका इलाज सही प्रकार से हो रहा है या नहीं।
ये भी जरूरी नहीं है कि एक चिकित्सा पद्वति से इलाज बन्द करके दूसरी चिकित्सा पद्वति की ओर रूख करें। आप एकसाथ दो चिकित्सा पद्वतियों से भी इलाज करवा सकते हैं। आयुर्वेद और होम्योपैथी चिकित्सक मरीज की विशेषताओं के आधार पर इलाज करते हैं। वो मानते हैं कि हर व्यक्ति की अपनी अलग विशेषतायें होती है, इसलिये वो उसकी शारीरिक प्रकृति को देखते हुए ही उसका इलाज करते हैं।
जैसे आप अपने बच्चे को स्कूल में दाखिल करवाने से पहले स्कूल के बारें में जानकारी प्राप्त करते हैं और स्कूल के बाद बच्चे की विशेषताओं के आधार पर ही उसे उच्च शिक्षा दिलवाते हैं, ऐसे ही आपको आसपास के चिकित्सकों, चिकित्सालयों की जानकारी होनी चाहिये। जैसे आप अपने बच्चे की अवस्था को देखकर फैसला लेते हैं कि उसे विज्ञान,कला अथवा कामर्स में से क्या पढ़ना है, उसी प्रकार आपको बीमारी और बीमार को देखते हुए फैसला लेना चाहिये कि उसका इलाज किस चिकित्सा पद्वति में करवाना है। हम से में कितने ही लोग गलत जगह इलाज करवाने से परेशान रहते हैं क्योंकि हम जानते ही नहीं हैं कि हमें कहाँ इलाज करवाना है। यह मुश्किल फैसला होता है लेकिन थोड़ी बहुत जानकारी लेने पर सही फैसला करना आसान हो जाता है। हर आदमी अपनी चीज को सबसे अच्छी बताता है लेकिन हमें जानना है कि हमारे लिये क्या बेहतर है।