2014 में शुरू हुई परंपरा इस साल टूट जाएगी, दिवाली पर जगमग नहीं होगा ऑस्ट्रेलिया का ओपेरा हाउस

2014 में ऑस्ट्रेलिया के ओपेरा हाउस में दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई। हालांकि, इस साल दुनिया में मौजूद तनाव को देखते हुए वहां की सरकार ने इसे टाल दिया है। एसबीएस के एक सवाल का जवाब देते हुए एनएसडब्ल्यू सरकार के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि सिडनी ओपेरा हाउस को इस साल दिवाली के लिए रोशन नहीं किया जाएगा। एनएसडब्ल्यू प्रीमियर स्टीव कैंपर ने इस सप्ताह त्योहार मनाने के लिए सिडनी में कला संग्रहालय में एक सामुदायिक स्वागत समारोह की मेजबानी की। इस कार्यक्रम में राज्य कोषाध्यक्ष डैनियल मुखी, विपक्ष के नेता मार्क स्पीकमैन और भारतीय समुदाय के कई अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

 

मिन्न्स ने इस आयोजन के महत्व के बारे में बताया, ”समुदाय के लिए संदेश यह है कि हम दिवाली से प्यार करते हैं। हम अपने बहुसांस्कृतिक समुदायों से प्यार करते हैं। इसलिए हम पर भरोसा रखें। हम जश्न मनाने और त्योहार के लिए इकट्ठा होने के कई अन्य तरीके खोज लेंगे।” 

 

डैनियल मुखी इस बात से सहमत थे कि ओपेरा हाउस राज्य के लिए एक प्रतिष्ठित स्थल है, लेकिन उन्होंने कहा कि अन्य समुदायों के प्रति संवेदनशीलता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “लेकिन हम अभी भी इकट्ठा हो रहे हैं और अभी भी जश्न मना रहे हैं। हम यहां समकालीन कला संग्रहालय में सिर्फ इसी के लिए इकट्ठा हुए हैं।”

 

कोषाध्यक्ष ने यह भी बताया कि इस साल की शुरुआत में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी  की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के उपलक्ष्य में पालों को रोशन किया गया था। आपको बता दें कि विभिन्न अवसरों के लिए ओपेरा हाउस पाल की रोशनी चर्चा का विषय रही है। अक्टूबर में मध्य पूर् देश में में तनाव बढ़ गया। एकजुटता दिखाने के लिए ओपेरा हाउस को इजरायली झंडे के रंग में रोशन किया गया। इस कदम को भी कुछ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। 

 

ऑस्ट्रेलिया में दिवाली विशाल संख्या में रहने वाले हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के द्वारा मनाया जाता है। ये भारत, बांग्लादेश, नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों से आते हैं। हिंदू और बौद्ध मिलकर ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी का 5.2 प्रतिशत हैं।