अडाणी-हिंडनबर्ग विवाद: जनहित याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर गौर करेगा उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली,  उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री अडाणी समूह द्वारा शेयर के मूल्यों में हेरफेर के आरोपों से संबंधित जनहित याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के मामले पर गौर करेगी।

जनहित याचिकाएं दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक की पैरवी कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से कहा कि याचिकाओं को 28 अगस्त को सूचीबद्ध किया जाना था।

भूषण ने कहा, ‘‘मामला 28 अगस्त को सूचीबद्ध किया जाना था लेकिन इसे बार-बार टाला गया है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं रजिस्ट्री से इस बारे में पूछूंगा।’’

न्यायालय ने 11 जुलाई को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से अडाणी समूह द्वारा शेयर के मूल्यों में हेरफेर करने के आरोपों की चल रही जांच की स्थिति के बारे में पूछा था और कहा था कि जांच 14 अगस्त तक दिए गए समय में तेजी से पूरी करनी होगी।

इसके बाद, बाजार नियामक सेबी ने जांच को लेकर स्थिति रिपोर्ट दायर की थी और कहा था कि वह कर पनाहगाह से सूचना मिलने का इंतजार कर रहा है।

कर पनाहगाह में वे देश शामिल हैं जिन्हें कर चोरी करने वालों के लिये पनाहगाह माना जाता है। इन देशों में पंजीकृत कंपनियों पर बहुत कम दर से अथवा कोई कर नहीं लगाया जाता है। इस वजह से कई कंपनियां कर से बचने के लिए इन देशों में अपना पंजीकरण कराती हैं।

सेबी ने कहा था कि अडाणी समूह के खिलाफ दो को छोड़कर सभी आरोपों की जांच पूरी कर ली गई है और इस समूह की कंपनियों में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों के असली मालिकों के बारे में पांच देशों से जानकारी आने का उसे अभी इंतजार है।

उसने कहा था कि वह अडाणी समूह से संबंधित जिन 24 मामलों की जांच कर रहा है, उनमें से 22 मामलों के अंतिम निष्कर्ष आ चुके हैं।

सेबी ने इन जांच नतीजों का खुलासा नहीं किया लेकिन उसने संबंधित पक्षों के बीच लेनदेन सहित जांच के दौरान उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा दिया है।

बाजार नियामक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “सेबी इस जांच के नतीजों के आधार पर कानून के अनुरूप उचित कार्रवाई करेगा।”