राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संथाली लेखकों से आग्रह किया कि वे ओल चिकी का प्रसार करने के लिए बच्चों पर ध्यान केंद्रित करें और उनके लिए भाषा में पत्रिकाएं प्रकाशित कर नियमित रूप से उनके साथ संवाद करें।
अखिल भारतीय संथाली लेखक संघ के 36वें वार्षिक सम्मेलन और साहित्यिक महोत्सव के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने शुरू से अंत तक ओल चिकी भाषा में अपना संबोधन दिया और कहा कि किसी भी भाषा को लोकप्रिय बनाने में लेखक बड़ी भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि ओल चिकी में एक भारतीय भाषा के रूप में विस्तार करने की क्षमता है और उन्होंने संथाली लेखकों से भाषा के समग्र विकास के लिए उनके लेखन को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
ओल चिकी लिपि को लोकप्रिय बनाने वाले पंडित रघुनाथ मुर्मू को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुर्मू ने कहा, “दूसरों से इसे मान्यता देने की अपेक्षा करने से पहले हमें स्वयं अपनी ओल चिकी भाषा को महत्व देना चाहिए। संथाली बच्चों को आपस में इस भाषा में बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि संथाली बच्चों को ओल चिकी लिपि में छोटी कहानियां पढ़ने की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए ताकि वे भविष्य में भाषा का विकास कर सकें।
ओल चिकी को दिसंबर, 2003 में संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया था और भारत सरकार ने इस भाषा को मान्यता दे दी है।
सम्मेलन में ओडिशा के राज्यपाल रघुबर दास, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और असम के कई प्रमुख संथाली शिक्षाविदों ने भाग लिया। ओडिशा के मंत्री सुदाम मरांडी और जगन्नाथ सरका भी इस दौरान उपस्थित थे।
इससे पहले दिन में मुर्मू भारतीय वायुसेना के एक हेलीकॉप्टर से बारीपदा स्थित पुलिसलाइन पहुंचीं जहां राज्यपाल रघुबर दास, जनजातीय मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू, राज्य के अनुसूचित जाति-जनजाति विकास मंत्री जगन्नाथ सरका ने उनका स्वागत किया। बिश्वेश्वर टुडू स्थानीय सांसद भी हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति कुलियाना में ‘एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय’ का उद्घाटन भी करेंगी।