एक शोध के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि बच्चों में गर्मी के बजाय सर्दी के मौसम में मधुमेह की आशंका अधिक बढ़ जाती है। शोधरत वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सर्दी के मौसम में खून में चीनी की मात्रा में परिवर्तन और संक्रामक बीमारियों में बढ़ोत्तरी के कारण मधुमेह का आक्रमण हो जाता है।
शोध में पाया गया है कि लड़कों को इस परेशानी से अधिक जूझना पड़ता है। वैज्ञानिकों ने 53 देशों के 31 हजार बच्चों पर अध्ययन में मौसम को मधुमेह का प्रथम कारण माना है। वैज्ञानिकों के अनुसार मधुमेह की प्रथम श्रेणी के मौसम से संबध होने के कई कारण हैं। खून में ग्लूकोज और इंसुलिन की मात्रा में मौसम के अनुसार बदलाव आता है। सर्दी में बच्चों में खाने की प्रवृत्ति अधिक और शारीरिक श्रम करने की कम होती है जिससे मधुमेह उन्हें आ घेरता है।
कामकाजी महिलाओं में स्तन कैंसर की आशंका कम
जर्नल बीएमसी कैंसर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार काम करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा काफी हद तक कम होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सक्रिय एवं कामातुर महिलाओं में आरामतलब एवं कामशीतल महिलाओं की अपेक्षा स्तन कैंसर की आशंका सतरह फीसदी तक कम पाई जाती है। घर के कामकाज, बागवानी, टेनिस, साइकिल चलाने, तैराकी, फास्टडांसिंग और एरोबिक्स जैसे व्यायाम इस मामले में अधिक फायदेमंद साबित होते हैं जबकि बॉलिंग, टेबल टेनिस, फिशिंग, स्लो वाकिंग से कुछ फायदा नहीं मिलता। रिपोर्ट के अनुसार जो महिलाएं सप्ताह में औसतन सात या इससे अधिक घंटे का काम या व्यायाम करती हैं, उनमें स्तन कैंसर का खतरा आरामतलब महिलाओं की तुलना में काफी कम होता है।स्त्रियों को ठंडी बना देते हैं मसालेदार व्यंजन
चटपटा और मसालेदार व्यंजन का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है किंतु इसका अति प्रयोग महिलाओं को सेक्स की उत्तेजना से दूर ले जाता है तथा अनेक अन्य बीमारियों का भी यह जनक होता है। पाक शास्त्रियों के अनुसार मसालेदार व्यंजन स्वाद बढ़ाने वाले तथा स्नायुओं में खिंचाव पैदा करने वाले होते हैं। स्नायु में अत्यधिक खिंचाव होने के कारण सेक्स ग्रंथि कमजोर होने लगती हैं तथा धीरे-धीरे सेक्स उत्तेजना में कमी आने लगती है। डा॰ एस.एन. माथुर के अनुसार मसालेदार भोजन में अधिक तले, घी, मिर्च तथा अन्य मसाले होते हैं जिन्हें पचाने के लिए गुर्दों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। अधिक चिकनाई हृदय के लिए भी नुक्सानदेह साबित होती है।उच्च रक्तचाप भुलक्कड़ बना डालता है
अल्वामा विश्वविद्यालय के ज्योर्जियस त्सीगोलिस के नेतृत्व में किए गए एक अनुसंधान के दौरान पाया गया है कि उच्च रक्तचाप प्रौढ़ व्यक्तियां को भुलक्कड़ बना सकता है। उच्च रक्तचाप से मस्तिष्क की धमनियां कमजोर हो जाती हैं और उनसे मस्तिष्क को क्षति पहुंचती है। धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ती जाती है और व्यक्ति भुलक्कड़ बनता चला जाता है।तंत्रिका संबंधी जर्नल ’न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि उच्च रक्तचाप प्रौढ़ावस्था में याददाश्त की समस्या उत्पन्न कर सकता है। 45 साल से अधिक उम्र के लोगों को भूलने की समस्या हो जाती है। ऐसे लोगों के लिए किसी बात पर सोचना या विचार विमर्श करना भी मुश्किल होता है। यह अध्ययन 45 साल की उम्र के लगभग बीस हजार लोगां पर किया था।