पानी जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। अगर ऐसा न होता तो रहीम ‘रहिमन पानी राखिये बिनु पानी सब सून’ न कहते। अब यह सर्वविदित है कि शरीर के लिए सारे पेय पदार्थ व खाद्य पदार्थ एक तरफ और पानी एक तरफ। आप बिना भोजन किए कई दिन रह सकते हैं, परंतु पानी के बिना रह पाना असम्भव है। हमारे शरीर में 50 प्रतिशत से भी अधिक पानी है। यदि शरीर में मामूली सी भी पानी की कमी होती है तो हमें प्यास अनुभव होती है। पानी शरीर के तापक्रम को उचित बनाए रखता है। ताकि हम स्वस्थ व तरोताजा बने रहे। पानी में अनेक पोषक, औषधीय गुण होते हैं। यहां प्रस्तुत है पानी से रोगोपचार की कुछ विधियां:
कभी किसी को मूर्छा आ जाए तो उसके मुंह पर ठंडे पानी के छीटें मारें।
* चोट, सूजन, फोड़े-फुंसी पर बार-बार ठंडे पानी की पट्टियां रखने से आराम मिलता है। बर्फ रखने से घाव शीघ्र ठीक होता है। * तेज बुखार में रोगी के माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखें, बुखार कम होगा। * नाक से खून आ रहा हो तो सिर पर ठंडा पानी डालें। * प्रात: नियमित ठंडे-ताजे जल से स्नान करने से शरीर का व्यायाम भी होता है और दिन भर शरीर भी चुस्त-दुरुस्त रहता है। नियमित स्नान से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। * जुकाम हो तो ठंडी चीजें न खाएं तथा जब भी प्यास अनुभव हो चाय की भांति गर्म पानी पियें। 24 घंटे में जुकाम से मुक्ति मिल जाएगी। * बिस्तर से उठते ही गुन-गुना पानी पीकर कुछ देर टहल कर शौच जाएंगे तो पेट साफ होगा इससे आंतों की सफाई होगी। इससे गैस व कब्ज में भी लाभ मिलता है। * पानी में नींबू का रस, पुदीना, काला नमक मिलाकर पीने से मलेरिया ज्वर में लाभ मिलता है। * दिल घबरा रहा हो, बेचैनी अनुभव हो रही हो तो ठंडा पानी पीने अथवा नहाने से राहत मिलती है। * आंख आ गई (आई फ्लू) हो तो दिन में 10-15 बार आंखों को ताजे जल से धोएं। बिना दवा के ठीक हो जाएंगी। * भोजन करते वक्त ठंडा पानी न पीयें। हल्का गुनगुना पानी थोड़ी मात्रा में पीना पाचन क्रिया में सहायक होगा। * कोई भी गर्म वस्तु खाने के तुरंत बाद ठंडे पानी से कुल्ला न करें, इससे दांत कमजोर पड़ सकते हैं।