नयी दिल्ली, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) और ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) ने नवोन्मेष एवं ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि देश में सुरक्षा और समय के हिसाब से ढलने की संस्कृति को प्रोत्साहित किया जा सके।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, आपदा प्रबंधन, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में जागरूकता को बढ़ावा देने में विश्वविद्यालयों को शामिल करने के प्रधानमंत्री के 10 सूत्री एजेंडे के हिस्से के रूप में शुक्रवार को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
एनआईडीएम के अंतर्गत लगभग 260 विश्वविद्यालय और संस्थान आते हैं, जिनमें टेरी भी शामिल है।
बयान में कहा गया कि लक्ष्य देश में सुरक्षा और समय के हिसाब से ढलने की संस्कृति को विकसित करने के लिए आपदा के खतरे को कम करने में ज्ञान, नवाचार और शिक्षा को बढ़ावा देना है।
इसमें कहा गया, ‘यह ऐतिहासिक समझौता आपदा प्रबंधन रणनीतियों को बेहतर बनाने और स्थायी तौर-तरीकों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। एनआईडीएम और टेरी के बीच सहयोग का उद्देश्य आपदाओं और जलवायु संबंधी जोखिमों से उत्पन्न होने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए दोनों संस्थानों की विशेषज्ञता और संसाधनों का उपयोग करना है।’
एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक राजेंद्र रतनू ने बताया कि यह साझेदारी आपदा के खतरे को कम करने के राष्ट्रीय एजेंडे में योगदान देने की संयुक्त प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो समय के साथ बदलते और सुरक्षित भारत के निर्माण में सहयोग के महत्व को मजबूत करती है।