बेंगलुरू, एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय विश्व कप से पहले लोकेश राहुल सोशल मीडिया पर ‘ट्रोल आर्मी’ के निशाने पर थे। उनकी फिटनेस, टी20 में धीमी बल्लेबाजी जैसी चीजें उन्हें आसान निशाना बना रही थीं।
लोग टीम में उनकी जगह पर सवालिया निशाना लगा रहे थे लेकिन विश्व कप के सेमीफाइनल तक के भारत के सफर में उनकी विकेट के आगे और पीछे दोनों जगह भूमिका अहम रही है।
पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए राहुल की भूमिका आसान नहीं है। अगर शीर्ष क्रम का बल्ला रन उगलता है तो उन्हें अपना प्रभाव छोड़ने के लिए अधिक ओवर नहीं मिलते जबकि अगर शीर्ष क्रम ध्वस्त होता है तो उनकी भूमिका पारी को संवारने की होती है।
राहुल मौजूदा विश्व कप में दोनों भूमिकाओं में खरे उतरे हैं जिससे मध्यक्रम को स्थिरता मिली है।
राहुल की भूमिका इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि छठे नंबर पर खेलने के लिए ऑलराउंडर हार्दिक पंड्या उपलब्ध नहीं है।
चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के पहले मैच में इशान किशन, रोहित शर्मा और श्रेयस अय्यर के विकेट दो रन तक गंवाने के बाद मेजबान टीम संकट में थी। राहुल ने नाबाद 97 रन की पारी खेली और विराट कोहली (85) के साथ शतकीय साझेदारी करके भारत की जीत का मंच तैयार किया।
लखनऊ में इंग्लैंड के खिलाफ भी उन्हें इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा जब भारत 40 रन पर तीन विकेट गंवा चुका था। उन्हें एक बार फिर पारी को संवारने की भूमिका मिली। रोहित ने 58 गेंद में 39 रन की पारी खेलने के अलावा कप्तान रोहित शर्मा के साथ 91 रन जोड़कर इसे बखूबी निभाया।
बांग्लादेश के खिलाफ 257 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए शीर्ष क्रम के अच्छे प्रदर्शन के बाद राहुल को टीम को जीत तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मिली और उन्होंने नाबाद 34 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई।
रविवार को नीदरलैंड के खिलाफ संभवत: पहली बार राहुल को अपने मनमाफिक अंदाज में खेलने का मौका मिला। उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाते हुए 64 गेंद में 102 रन की पारी खेली।
बेशक नीदरलैंड का आक्रमण उतना मजबूत नहीं है और चिन्नास्वामी स्टेडियम की पिच भी बल्लेबाजी के लिए मुश्किल नहीं थी लेकिन राहुल ने मैदान के चारों तरफ शॉट खेलने की अपनी क्षमता का नजारा पेश किया।
वह मौजूदा विश्व कप में 69.40 के औसत और 93.53 के स्ट्राइक रेट से 347 रन बना चुके हैं।
मध्य क्रम की चुनौतियों से अच्छी तरह वाकिफ पाकिस्तान के पूर्व ऑलराउंडर शोएब मलिक ने पांचवें नंबर पर राहुल की मौजूदगी की अहमियत के बारे में बताया।
उन्होंने कहा ‘‘अगर भारत दो या तीन विकेट जल्दी गंवा देता है तो वह ऐसा खिलाड़ी है जो स्थिति के अनुसार खेल सकता है। वह मैच को खत्म कर सकता है, अच्छे शॉट खेल सकता है और अच्छे स्ट्राइक रेट से रन बना सकता है। वह स्पिनरों के साथ-साथ तेज गेंदबाजों के खिलाफ भी अच्छी बल्लेबाजी करता है।’’
राहुल के बचपन के कोच सैमुअल जयराज हालांकि उनके प्रदर्शन से बिलकुल भी हैरान नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सभी को बल्लेबाज के रूप में उसके कौशल के स्तर के बारे में पता है। लेकिन आम तौर पर लोग उसकी मानसिक स्पष्टता को नहीं देखते। आप उसको किसी भी स्थिति में डाल दीजिए, वह उससे निपट लेगा। वह अपने शुरुआती दिनों से ही ऐसा है।’’
राहुल के आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय प्रारूप के लंबे इतिहास राहुल उन सिर्फ चार बल्लेबाजों में शामिल हैं जिन्होंने चौथे और पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 50 से अधिक के औसत से एक हजार से अधिक रन बनाए हैं।
राहुल के नाम चौथे और पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 56.37 के औसत से 1635 रन दर्ज हैं जबकि इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट भी 94.18 का रहा है। इस सूची में शामिल अन्य तीन बल्लेबाज एबी डिविलियर्स, विराट कोहली और रेसी वान डेर डुसेन हैं।
राहुल ने मौजूदा विश्व कप में विकेटकीपर के रूप में भी छाप छोड़ी है। वह नौ मैचों में 11 कैच और एक स्टंपिंग के साथ कुल 12 शिकार कर चुके हैं। उनसे अधिक शिकार क्विंटन डिकॉक (19) और एडवर्ड्स (15) ने ही किए हैं।