अहमदाबाद, बोरीवली के रोहित शर्मा, पश्चिम विहार के विराट कोहली और अमरोहा के मोहम्मद शमी को कुछ भी थाली में परोसा हुआ नहीं मिला है, ये तीनों वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद खेल के शीर्ष पर पहुंचने की अहमियत जानते हैं।
इस तिकड़ी को ‘कॉनकोर्ड’ कहना गलत नहीं होगा जिसका मतलब है लोगों और समूहों के बीच सहमति और सामंजस्य। 13 साल के रोहित 275 रुपये की ट्यूशन फीस नहीं दे सकते थे जिससे उन्हें विवेकानंद पब्लिक स्कूल में दाखिला मिल जाता जिसमें एक अच्छी क्रिकेट टीम के साथ दिनेश लाड नाम के अच्छे कोच थे।
कोहली जब 15 साल के थे तो दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ ने उन्हें राज्य की अंडर-15 टीम के ट्रायल के बाद बाहर कर दिया था।
तेज गेंदबाज शमी अपने सहसपुर गांव से कोलकाता पहुंचे और बिना किसी गुरु के और आयु ग्रुप क्रिकेट खेलने के बावजूद यहां तक पहुंचे।
रोहित अपनी बल्लेबाजी से अब तेज गेंदबाजों को भयभीत कर सकते हैं, विराट का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कद दूर से ही दिख जाता है और शमी की सीधी सीम गेंदबाजी से उन्हें अच्छी नतीजे मिल रहे हैं।
इस टीम के दो वरिष्ठ खिलाड़ी रोहित और कोहली ने भारत के ड्रेसिंग रूम में क्रमशः 16 और 15 साल बिता चुके हैं और जानते हैं कि विश्व चैम्पियन बनना कैसा लगता है।
दो विश्व कप सेमीफाइनल खेल चुके चैम्पियन गेंदबाज शमी कभी वैश्विक ट्रॉफी जीतने की सफलता का स्वाद नहीं चख सके हैं।
रोहित ने अपने क्रिकेट करियर के सबसे बड़े दिन से पहले कहा, ‘‘मैं ‘औरा’ जैसी चीज में विश्वास नहीं करता हूं। आपको मैदान पर उतरकर अच्छा क्रिकेट खेलना होगा। अगर आपने कल गलती की तो 10 मैच का सारा अच्छा खेल बर्बाद हो जायेगा। भविष्य और अतीत के बारे में चिंता की जरूरत नहीं है, हमें वर्तमान पर ध्यान लगाना होगा। 2003 में जो हुआ, मैं उसके बारे में नहीं सोच रहा हूं। ’’
छह आईपीएल (पांच बतौर कप्तान) खिताब जीतने वाले रोहित के पास कप्तान के तौर पर दो एशिया कप हैं। बतौर खिलाड़ी एक टी20 विश्व कप है लेकिन 2011 में उन्हें टीम में नहीं चुना जाना अब भी सालता है।
रोहित ने कहा, ‘‘मैं उस समय के बारे में नहीं सोचना चाहता हूं। यह बहुत ही भावनात्मक दौर था। मुझे लगता है कि हर कोई इसके बारे में जानताहै। वो समय काफी मुश्किल था। ’’
पारी का आगाज करने के बाद काफी चीजें बदली और पिछले 10 वर्षों में सभी ने रोहित का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन ही देखा है।
कोहली की अभी तक की यात्रा दो भाग में बंटी रही है जिसमें से एक 2019 सेमीफाइनल में हारने के साथ खत्म हुई और दूसरी जो एमसीजी की रात शुरू हुई जब हारिस रऊफ पर उन्होंने सीधा छक्का जड़ा था।
इसके बीच में ऐसा नीरस दौर भी था जब किसी भी प्रारूप में वह कोई शतक नहीं जड़ सके थे और भारत का सबसे पसंदीदा ‘आइकन’ दिमाग में चल रही उठापटक से निपट रहा था।
कोहनी ने एक साल पहले कहा था, ‘‘मैंने इसके बारे में सोचा और मुझे अहसास हुआ कि मैं खुद को यह आश्वस्त करने की कोशिश कर रहा था कि आप कर सकते हो लेकिन आपका शरीर आपसे रूकने के लिए कह रहा है। आपका दिमाग कह रहा कि ब्रेक लो और पीछे हट जाओ। ’’
उन्होंने कहा था, ‘‘मैं महसूस कर रहा था कि मैं ट्रेनिंग के लिए उत्साहित नहीं था। ’’
ऐसा भी समय होता है जब जानबूझकर उस चीज से दूर होने की जरूरत होती है जिसे वह सबसे ज्यादा प्यार करता है। कोहली अपने प्यार क्रिकेट से दूर रहे ताकि इसके प्रति प्रेरणा को फिर से महसूस कर सकें।
फिर रऊफ पर छक्का लगा और ‘किंग कोहली’ वहीं पहुंच गये जहां पर उनकी जगह थी। उनकी लय वापस आने लगी और नतीजा 50वां वनडे शतक।
शमी के लिए तब बुरा समय था जब प्रशासकों की समिति (सीओए) ने उनकी व्यक्तिगत जिंदगी के गलत कारणों से चर्चा में आने के बाद टीम से बाहर कर दिया था।
वह कुछ समय तक लोगों से छुपते रहे, उनके खिलाफ पुलिस मामला दर्ज हुआ और तब से उनकी शीर्ष पर पहुंचने की यात्रा शुरू हुई।
वह टूटे नहीं बल्कि उन्होंने अपनी सीम पॉजिशन पर ध्यान लगाया, रन अप में थोड़ा बदलाव किया, अपनी डाइट बदली और वह टीम की जरूरत के हिसाब से तैयार हो गये।
उन्हें ‘लाला’ कहते हैं और किसी भी खिलाड़ी से पूछे तो वह कहेगा कि नेट पर लाला का सामना करना अच्छा नहीं रहता। वह तब तक नहीं रूकता जब तक खिलाड़ी आउट नहीं हो जाता।
शमी ने मोहाली में एक वनडे मैच में पांच विकेट चटकाने के बाद कहा था, ‘‘अगर आप नहीं खेल रहे हो तो आपको बुरा महसूस करने की जरूरत नहीं। ’’
रोहित, कोहली और शमी के पास यह अंतिम मौका होगा क्योंकि वे शायद अगले वनडे विश्व कप में नहीं खेलें।