हारे का सहारा बाबा खाटूश्याम को कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बाबा हर हारे हुए व्यक्ति की मनोकामना पूरी करते हैं। हर साल देवउठानी एकादशी पर इनका जन्मोत्सव मनाया जाता है।कहा जाता है कि इन्हें कलयुग में पूजे जाने का वरदान मिला था। खाटूश्याम जी के बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था कि कलियुग में वो उनके नाम यानी श्याम नाम से पूजे जाएंगे और खाटू नरेश कहलाएंगे। इस साल खाटू श्याम का बर्थडे 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन मनाया जाएगा। आइए सबसे पहले जानते हैं कौन है खाटूश्याम बाबा
खाटू श्याम का संबंध महाभारत से है। वे पांडव पुत्र भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। दरअसल बर्बरीक में अपने दादा भीम के तरह ही बलशाली योद्धा बनने के गुण थे। उन्होंने भगवान शिव की भक्ति की और भगवान शिव की भक्ति से उन्हें तीन अभेद्य बाण मिले, उनका एक नाम त्रिबाणधार भी है। महाभारत का युद्ध जब हो रहा था, तब बर्बरीक ने भी युद्ध में जाना चाहा। उन्होंने अपनी मां से युद्ध में जाने के लिए अनुमति मांगी, मां ने कहा कि चले जाओ, अब उन्होंने पूछा कि मैं युद्ध में किसका साथ दूं, तब उनकी मां ने कहा कि एक तरफ युद्ध में कौरव, भीष्म पितामह और कर्ण, द्रोणाचार्य है, ऐसे में पांडवों का जीतना मुश्किल है, तो उन्होंने बर्बरीक से कह दिया कि तुम हारे का सहारा बनना।
युद्ध में भगवान कृष्ण समझ गए है कि अगर बर्बरीक कौरवों को हारता देख उनका साथ देने चले गए तो, पांडवों का हारना तय है। इसलिए उन्होंने छल से ब्रह्मण का रूप लेकर उनका शीश दान में मांग लिया। बाद मैं भगवान कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वो कलयुग में श्याम नाम से पूजे जाएंगे और उनके जैसे दानी इस धरत पर न हुआ है न होगा।