घर की स्वच्छता और सजावट

2021_1image_16_44_407089041walldecoration

सफाई के साथ सजावट द्वारा ही घर के वातावरण में मधुरता घोली जा सकती है। स्वच्छता और सजावट के संबंध में पहला प्रश्न आर्थिक स्थिति को लेकर उठता है। कहा जाता है कि साफ सुथरे और सजे संवरे मकानों के लिए आर्थिक स्थिति भी उसी स्तर की होनी चाहिए परंतु गहराई से विचार करने पर यह बात बड़ी सुगमता से समझी जा सकती है कि सस्ते और कच्चे मकानों में बिना कुछ खर्च किए सफाई रखी जा सकती है तथा दैनंदिन उपयोगी वस्तुओं को यथा स्थान ढंग से रखकर घर को सुरूचिपूर्ण रखा जा सकता है।


बड़े और महंगे मकानों में भी सफाई का ध्यान न रखा जाय और वस्तुओं को ठीक तरीके से रखने की बात न सोची जाय तो इस कारण वहां जो फूहड़ता और बेढंगेपन की सृष्टि होती है, वह कीमती सामानों को भी कूड़े करकट की श्रेणी में ला खड़ा कर देती है।


बचे हुए समय का उपयोग थोड़ी सूझबूझ से किया जाय तो उपलब्ध साधनों से ही घर को स्वच्छ, सुन्दर और सुसज्जित बनाया जा सकता है। समय का उपयोग करने के साथ सूझबूझ इसलिए आवश्यक है कि स्वच्छता और गृहसज्जा एक कला है।


घर में दो स्थानों पर ज्यादा गंदगी होती है-जिनका उपयोग परिवार का प्रत्येक सदस्य कम से कम दो बार तो करता ही है। रसोई और स्नानागार में इसलिए भी अधिक गंदगी होती है कि वहां पर उपयोग के साथ-साथ बिखराव भी होता है। रसोई में काम करने और भोजन करने के बाद तुरंत सफाई कर लेनी चाहिए तथा उपयोग में आने वाली वस्तुओं-बर्तनों को भी तुरंत साफ कर यथास्थान रख देना चाहिए।


घर में ऐसी बहुत सी चीजें रहती हैं जिनकी रोज-रोज सफाई करने की बारी नहीं आती। दीवारें, छत आदि में थोड़े दिनों के बाद जाले पड़ते हैं और धूल जम जाती है। सप्ताह में एक दिन पूरे घर की अच्छी तरह सफाई की जा सकती है। मेज, कुर्सी, पलंग, फर्नीचर आदि की झाड़ पोंछ तो रोज ही हो जाती है पर उनकी टूट-फूट, साज संभाल के लिए भी महीने में कम से कम एक दिन नियत रखा जा सकता है। कालीन, दरी, फर्श और चटाइयों जैसी वस्तुओं के लिए साज संभाल का यह क्रम बनाए रखना चाहिए।


स्वच्छता की ही तरह सजावट के लिए भी न तो बजट में अतिरिक्त व्यवस्था रखने की आवश्यकता पड़ती है और न ही बहुमूल्य सामग्री की। थोड़ा बहुत फर्नीचर और तस्वीरें तो प्राय सभी घरों में मिलती हैं। यदि उन्हें उपयुक्त स्थान पर रखने और समुचित क्रम से सजाने भर का ध्यान रखा जाय तो कम वस्तुएं भी मनुष्य के कलात्मक दृष्टिकोण को उजागर कर देती हैं।


घर में हरियाली आनंदपूर्ण वातावरण बनाती है। जिन घरों में उद्यान लगाने की जगह न हो, वहां तार के छींकों पर लटकने वाले डिब्बे तैयार कर उनमें मिट्टी आदि डालकर उनमें पौधे लगाकर घर के बाहर निराली छटा बिखेरी जा सकती है।


लोकतंत्रा में देश का मालिक प्रत्येक नागरिक होता है, पर साथ ही उसे नागरिक के कठोर उत्तरदायित्व को भी वहन करना पड़ता है। सुविधा तो सब उठाना चाहते हैं पर जिम्मेदारी कोई नहीं उठाना चाहता। प्रजातंत्राय देशों के नागरिक अपना और अपने देश का सर्वनाश कर लेते हैं।


ठीक यही बात घर रूपी राष्ट्र के संबंध में कही जा सकती है। उसकी उचित साज संभाल एवम् सुव्यवस्था में घर का प्रत्येक सदस्य रूचि लेगा और योगदान देगा तो यह संभव है कि उसे सुसंस्कृत लोगों का निवास स्थान, देव स्थान कहा जा सके।