दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘अत्यधिक गंभीर’ श्रेणी में पहुंची, आपातकालीन कार्रवाई का इंतजार

नयी दिल्ली,  दिल्ली की वायु गुणवत्ता शुक्रवार को सुबह ‘‘अत्यधिक गंभीर’’ श्रेणी में चली गयी, जिसके तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण फैला रहे ट्रकों, वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों और सभी प्रकार की निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध समेत तमाम आपात उपाय लागू करने की आवश्यकता होती है।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा तैयार किए गए नीति दस्तावेज के अनुसार, ये कदम केंद्र की वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना के अंतिम चरण के तहत उठाए जाते हैं और आदर्श रूप में राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के 450 के आंकड़े को पार करने से कम से कम तीन दिन पहले लागू किए जाने चाहिए।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण पर नियंत्रण के वास्ते रणनीतियां बनाने के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय सीएक्यूएम ने बृहस्पतिवार को अनावश्यक निर्माण कार्य और प्रदूषण फैला रहे वाहनों की कुछ श्रेणियों पर प्रतिबंध का आदेश दिया।

बहरहाल, उसने अभी दिल्ली तथा एनसीआर राज्यों से सभी आपात उपायों को लागू करने के लिए नहीं कहा है जिसमें सरकारी और निजी कार्यालयों के लिए घर से काम करने के निर्देश भी शामिल हैं।

चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के अंतिम (चौथे) चरण के तहत दूसरे राज्यों के केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-4 वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। इसमें आवश्यक सेवाओं वाले वाहनों को छूट दी जाती है।

आवश्यक सेवाओं में लगे सभी मध्यम और भारी मालवाहक वाहनों पर भी राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता होती है।

शहर में एक्यूआई बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे 351 से बढ़कर शुक्रवार को सुबह नौ बजे 471 पर पहुंच गया जो अत्यधिक प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि के कारण प्रदूषण स्तर में अचानक वृद्धि को दर्शाता है।

शहर में 24 घंटे का औसत एक्यूआई बृहस्पतिवार को 392, बुधवार को 364, मंगलवार को 359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 दर्ज किया गया।

यह पिछले कुछ दिन में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट के सिलसिले को दर्शाता है। बृहस्पतिवार को एक्यूआई गिरकर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया।

वायु गुणवत्ता का संकट केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है। पड़ोसी हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता हानिकारक स्तर पर दर्ज की गयी है।

इन शहरों में राजस्थान में हनुमानगढ़ (401), भिवाड़ी (379) और श्री गंगानगर (390), हरियाणा में हिसार (454), फतेहाबाद (410), जींद (456), रोहतक (427), बल्लभगढ़ (390), बहादुरगढ़ (377), सोनीपत (458), कुरुक्षेत्र (333), करनाल (345), कैथल (369), भिवानी (365), फरीदाबाद (448) और गुरुग्राम (366) तथा उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद (414), बागपत (425), मेरठ (375), नोएडा (436) और ग्रेटर नोएडा (478) शामिल हैं।

दिल्ली-एनसीआर में लगातार चौथे दिन शुक्रवार को घनी और दमघोंटू धुंध छायी हुई है और क्षेत्रों में कई स्थानों पर पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक रही।

प्रदूषण नियंत्रण योजना के तीसरे चरण को लागू करते हुए सीएक्यूएम ने बृहस्पतिवार को क्षेत्र में गैर-जरूरी निर्माण कार्य, पत्थर तोड़ने और खनन पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया।

दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

जीआरएपी चार चरणों के तहत कार्रवाई करती है : पहला चरण – ‘खराब’ (एक्यूआई 201-300), दूसरा चरण – ‘बहुत खराब’ (एक्यूआई 301-400), तीसरा चरण – ‘गंभीर’ (एक्यूआई 401-450) और चौथा चरण- ‘अत्यधिक गंभीर’ (एक्यूआई 450 से अधिक) है।

दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य के लिए खतरनाक प्रदूषण से बच्चों की सुरक्षा करने की कवायद के तहत सभी प्राइमरी स्कूलों को दो दिन के लिए बंद करने की भी घोषणा की है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने स्थिति की समीक्षा करने के लिए शुक्रवार को एक आपात बैठक बुलायी है।

सीएक्यूएम ने कहा है कि अत्यधिक प्रतिकूल मौसम और जलवायु संबंधी परिस्थितियों के कारण प्रदूषण स्तर ‘‘और बढ़ने की आशंका है।’’

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक वैज्ञानिक ने कहा, ‘‘हमें प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों – हवा की धीमी गति, हवा चलने की गैर-अनुकूल दिशा और बारिश की कमी- दो से तीन दिन और रहने की आशंका है जिससे प्रदूषक कणों को और एकत्रित होने का मौका मिलेगा।’’

आईएमडी ने सुबह करीब 10 बजे सफदरजंग वेधशाला और पालम वेधशाला में दृश्यता महज 500 मीटर तक दर्ज की है।

स्वास्थ्य पेशेवरों ने चिंता जतायी है कि वायु प्रदूषण से बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा और फेफड़ों संबंधी समस्या बढ़ रही है।