आजकल हम सभी रात दिन मोबाइल से चिपके रहते हैं। मोबाइल और कंप्यूटर के जरिये हम अनेक सोशल साइट्स से जुड़ते हैं।इन साइट्स के माध्यम से अनेक मित्रा बनाते हैं,.. कई रिश्ते जोड़ लेते हैं,..फिर होता है नंबरों का आदान-प्रदान, ईमेल और एड्रेस का आदान-प्रदान। उसके बाद शुरू होते हैं बातों के अंतहीन सिलसिले । अकसर ऐसे रिश्तों में पाया गया है कि लोग इतने दीवाने हो जाते हैं की सोना-जागना,खाना-पीना,आना-जाना या यूं कहिये कि जिंदगी से जुड़े हर काम साथ साथ या एक दूसरे से पूछ या बताकर करने लगते हैं। और फिर ऐसा मुकाम आता है जब रिश्ते को सच में बदलने के इरादे और वादे किये जाते हैं,..। जब रिश्ते सच्चे होते हैं तो इससे बढ़कर कोई खुशी की बात जीवन में शायद ही कोई होती हो पर अगर इससे उल्टा हुआ यानी सोशल साइट्स सर समय बिताने का जरिया हुआ तो,……???
क्या आपने कभी सोचा है????
मोबाइल मे ‘रिजेक्ट लिस्ट’ ‘ब्लाक एड्रेस’,..सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर ‘ब्लाक’ आदि सुवधाओं के कितने फायदे हैं??? शायद हां,..इन फायदों से हम सभी वाकिफ होंगे,….। पर क्या कभी आपने ये सोचा है???? इन माध्यमों से हम बहुत सारे रिश्ते बनाते हैं,..कुछ जाने,..कुछ अनजाने,….रिश्ते जिनसे हम अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं,… इस अभिव्यक्ति के साथ जब कुछ नए दोस्त बनते हैं,… और भावनाओं से हम इस तरह जुड़ जाते है कि वो रिश्ते जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं,….।
पर क्या ये रिश्ते टिकाऊ हैं????
हर सिक्के की तरह इस सिक्के के भी दो पहलू हैं। जंहा एक तरफ हमें अच्छे दोस्त मिलते है वहीं दूसरी तरफ हमारी भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा हो तो? और जब ये नए अनजान रिश्ते हमारे इन भावनात्मक रिश्तों से उकता जाते हैं। तब उपयोग करते हैं इन सुविधाओं का।
फिर शुरू होता है, निराशा और अवसाद का दौर जो आभासी दुनिया के बाहर हमारी वास्तविक जिंदगी को बरबाद करने के अलावा जानलेवा भी हो सकते हैं।
सावधान !
कहीं हम भी इस दौर से गुजरने की तैयारी में तो नहीं हैं?