जकार्ता, आसियान के महासचिव डॉ. काओ किम होर्न ने कहा है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का 10 सदस्यीय गुट चाहता है कि भारत अधिक बाजार पहुंच के लिए ऐतिहासिक क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में शामिल हो। उन्होंने जोर देकर कहा कि समावेशी, खुले और नियम-आधारित व्यापार समझौते से सभी साझेदार देशों को लाभ होगा।
काओ ने कहा कि भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं जो अंतरिक्ष और निवेश से लेकर पर्यटन, रक्षा, आतंकवाद की रोकथाम और अन्य क्षेत्रों तक विस्तृत है। उन्होंने नये क्षेत्रों में भी इसी तरह के सहयोग की वकालत की।
यहां सोमवार शाम को भारतीय पत्रकारों के एक चुनिंदा समूह से बात करते हुए डॉ. काओ ने कहा कि आरसीईपी में शामिल होने से भारत को फायदा होगा क्योंकि समझौते से अधिक बाजार पहुंच मिलेगी। उन्होंने कहा कि समावेशी, खुले और नियम-आधारित व्यापार समझौते से सभी भागीदारों को लाभ होगा।
आरसीईपी एक मुक्त व्यापार क्षेत्र (एफटीए) है जिसमें आसियान के 10 सदस्य देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपीन, लाओस और वियतनाम) शामिल हैं और इस गुट के पांच वार्ताकार देश चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड हैं।
इस ऐतिहासिक समझौते पर नवंबर, 2020 में हस्ताक्षर किये गये थे। आरसीईपी में भाग लेने वाले देशों का कुल सकल घरेलू उत्पाद वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत है और इन देशों में विश्व की 30 प्रतिशत आबादी रहती है।
अधिकारियों के मुताबिक, भारत आरसीईपी से बाहर हो गया था क्योंकि इसमें शामिल होने से देश की अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक असर पड़ता।
आसियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जकार्ता यात्रा को याद करते हुए काओ ने कहा कि यह समूह भारत के साथ अपनी ‘साझेदारी’ को ‘अत्यधिक महत्व’ देता है।