गाजा के मुख्य अस्पताल में शेष बचे मरीजों में 32 बच्चों की हालत गंभीर : संयुक्त राष्ट्र दल

खान यूनिस (गाजा पट्टी),  संयुक्त राष्ट्र की एक टीम ने रविवार को कहा कि इजराइली सेना द्वारा गाजा के सबसे बड़े अस्पताल से मरीजों को बाहर निकाले जाने के बाद वहां 291 लोग बचे हैं, जिनमें 32 बच्चों की हालत बेहद गंभीर है।

उन्होंने बताया कि बच्चों के घावों में गंभीर संक्रमण तथा रीढ़ की हड्डी में चोट जैसी समस्याएं हैं, जिससे वह चलने-फिरने में असमर्थ हैं।

अभियान का नेतृत्व कर रहे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि शनिवार सुबह करीब 2,500 विस्थापित लोगों, मरीजों और चिकित्सा कर्मचारियों द्वारा अस्पताल परिसर छोड़े जाने के बाद उन्होंने शिफा अस्पताल का दौरा किया।

एजेंसी ने शिफा अस्पताल को ‘मृत्यु क्षेत्र’ बताते हुए कहा, ‘‘जिन मरीजों और स्वास्थ्य कर्मचारियों से उन्होंने बात की, वे लोग अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थे तथा उन्होंने वहां से निकलने की गुहार लगाई।’’

एजेंसी ने कहा है कि आगामी दिनों में और अधिक टीम मरीजों को दक्षिणी गाजा में ले जाने की कोशिश करने के लिए शिफा पहुंचने का प्रयास करेंगी।

इजराइली सेना का आरोप है कि हमास के चरमपंथियों ने गाजा के शिफा अस्पताल में कमांड सेंटर स्थापित किया है, जिसकी वो तलाश कर रहे हैं। हालांकि, हमास और अस्पताल के कर्मचारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया।

इजराइल का मानना है कि शनिवार को मरीजों ने अस्पताल से स्वैच्छिक रूप से सामूहिक प्रस्थान किया था। हालांकि, वहां से निकलने वाले लोगों ने इसे जबरन पलायन बताया।

महमूद अबू औफ ने अस्पताल से निकलने के बाद एपी को बताया, ‘‘हम बंदूक के बल पर वहां से निकले। टैंक और स्नाइपर अंदर और बाहर हर जगह थे। इजराइली सेना ने तीन लोगों को अपनी हिरासत में लिया।’’

उत्तरी गाजा के अलावा शहरी जबालिया शरणार्थी शिविर में दर्जनों लोग मारे गए। प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि इजराइल के हमले में लोगों की मौत हुई है।

जीवित बचे घायल अहमद राडवान और यासीन शरीफ ने कहा, इसने शिविर के फखौरा स्कूल में बड़े पैमाने पर हमला किया।

राडवान ने एपी को बताया कि वहां के “दृश्य भयावह थे। महिलाओं और बच्चों की लाशें जमीन पर थीं। अन्य लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे।’’

एपी द्वारा स्थानीय अस्पतालों से ली गई तस्वीरों में खून से सनी चादरों में लिपटे 20 से अधिक शव दिखाई दे रहे हैं।

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