फल नहीं, औषधि है आंवला

आंवला वृक्ष को यदि देवताओं का वृक्ष या हरिप्रिय कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सब रोगों को हरने वाला आंवला सचमुच मानव के लिए वरदान ही है। इसको विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे श्रीफल, आमलक, अमृतफल आदि। आंवला भारत में बहुतायत से मिलता है। आंवला स्वाद में कसैला और खट्टा होता है। इसका प्रयोग चाहे कच्चे रूप में करें, पका कर, सुखाकर, रस निकालकर मुरब्बे के रूप में करें, यह हर हाल में मानव को लाभ पहुंचाता है। आंवले के फल में बहुत से रस विद्यमान हैं।


आंवला सर्वदोष नाशक माना जाता है। खट्टा होने के कारण वातनाशक, कसैला होने के कारण कफनाशक, मधुर रस के कारण पित्तनाशक होता है। च्यवनप्राश को प्राचीन काल से श्रेष्ठ माना जाता है। च्यवनप्राश का आधार आंवला ही होता है। आंवला विटामिन सी का सबसे बड़ा स्रोत है। इसके बराबर विटामिन सी किसी भी फल में नहीं होता। विटामिन सी शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, खून की शुद्धता, दांत और मसूड़ों में मजबूती और लिवर के सुचारू रूप से कार्य करने में मददगार होता है।


आंवला एकमात्रा ऐसा फल है जिसे सुखाने, उबालने तथा पकाने पर विटामिन सी समाप्त नहीं होता बल्कि अच्छी मात्रा में सुरक्षित भी रहता है। कच्चा आंवला तो साल में 2-3 माह तक उपलब्ध होता है। बाकी समय सूखे आंवले का प्रयोग कर लाभ उठाया जा सकता है।
आइए जानें आंवले को प्रयोग कर हम क्या लाभ उठा सकते हैं।

 

नेत्रा रोग

त्रिफला चूर्ण को पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। प्रातः छान कर उसी पानी से आंखें धोएं। आंखों की चमक बनी रहती है और आंखें साफ हो जाती है। रात्रि में आंवले के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से आंखों की ज्योति ठीक रहती है।

 

पेट रोग

नियमित आंवले के सेवन से कब्ज दूर होती है। रात्रि में सोने से पहले त्रिफला या आंवले चूर्ण को दूध के साथ या पानी के साथ नियमित लें। पुराने से पुराना कब्ज दूर हो जाता है।

 

त्वचा रोग

आंवले के चूर्ण को चमेली के तेल में मिलाकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर होती है।

 

नाक के रोग

सूखे आंवले को आठ गुणा पानी में भिगो कर रखें। प्रातः आंवले को छान कर उसमें शहद मिलाकर लें। इससे नकसीर आना ठीक हो जाता है। सूखे आंवलों को घी में तलकर पीसकर माथे पर लेप करने से भी नकसीर में लाभ मिलता है। ताजे आंवलों का रस लगभग एक आउंस लें। नाक से खून निकलना बंद हो जाएगा।

 

पेशाब संबंधी रोग

जब मूत्रा कम मात्रा में आता है या मूत्रा मार्ग में जलन होती हो तो आंवले का रस पीने से लाभ मिलता है। आंवले के चूर्ण को शहद में मिलाकर प्रतिदिन प्रातः लेने से लाभ मिलता है। मूत्रावरोध होने पर पिसे आंवले का लेप पेड़ू पर लगाने से पेशाब आता है।


इसके अतिरिक्त ताजे आंवले का रस दिन में तीन बार पीने से या आंवले के चूर्ण को दूध के साथ लेने से हृदय रोग में अत्यधिक लाभ पहुंचता है।


मेंहदी को भिगोते समय आंवले का चूर्ण 1 चम्मच उसमें मिलाएं। बाल काले और चमकदार होते हैं।


शुद्ध आंवले के तेल को बालों पर लगाया जाए तो बालों से संबंधित कई रोग दूर होते हैं।