एक दीप उनके आंगन में भी

दीपावली रोशनी का पर्व है। धरती को जगमगाते दीपों से सजा सितारों भरा आकाश बना देने का पर्व है। दीपपर्व अपने साथ ढेरों खुशियां लेकर आता है। इसके आगमन के साथ सर्वत्रा उमंग, उल्लास, आशा, चेतना, नव आलोक का संचार हो जाता है। दीपावली पर्व ही नहीं पर्वों का इंद्रधनुष है। यह जीवन के हर धर्म-गुण को  नवरंगों से आलोकित करता है।
दीपावली न केवल घर-आंगन की सफाई है वरन मन में सड़ांध पैदा करते विकारों, उन्माद, निराशा, अहंकार, क्रोध, तनाव, नकारात्मकता व संकुचित .ष्टिकोण को साफ कर निर्मल मन बना देने का पर्व है। जीवन में ये विकार हमें विकास की सीढियां चढ़ने से पीछे खींचते हैं। जीवन में यदि सदभाव, समर्पण, सेवा, साहस, सकारात्मक सोच व सही लक्ष्य निर्धारण का उजास किया जाए तो सफलता का ऐसा उजाला फैलेगा कि हर दिन हर पल दीपावली होगी।
जीवन में कई बार ऐसी विषम परिस्थितियों से सामना होता है जब सर्वत्रा अंधेरे का साम्राज्य नजर आता है। जिसमें अंधेरे को चीरकर आगे बढ़ने की अदम्य साहस होती है उसे उजास का स्वर्णिम उपहार प्राप्त हो जाता है लेकिन जो कमजोर, आलसी बने रहते हैं वे स्वयं को अंधेरे के हवाले कर देते हैं और अंधेरा धीरे-धीरे उन्हें खा जाता है। इसलिए जब भी जीवन में अंधेरा छाने लगे, तनाव, निराशा, अवसाद आतंक मचाने लगे तो तुरंत सचेत हो जाएं और इनसे बाहर निकलने का प्रयास करें। अपने अंतस में उमंग, आशा व हिम्मत का दीप जलाएं और अंधेरे से लड़ने का आत्मबल पैदा करें। तभी जीवन की हर घड़ी होगी दीपावली सी जगमग।


दीपावली पर हम सभी अपने घर-आंगन को दीपों की रोशनी से भर देते हैं लेकिन हमारे आसपास ऐसे भी लोग हैं जिनके जीवन में अँधेरा है गरीबी और अशिक्षा का। क्या हमारा दायित्व नहीं बनता कि हम उनके जीवन में शिक्षा और उम्मीदों का दीया जलाएं। ऐसे बच्चे जिनके सिर से अपनों का साया उठ गया है जो अभाव के चलते कष्ट में जीवन काट रहे हैं, क्यों न इस दीपपर्व पर अपनी खुशियों में उन्हें भी शामिल करें।


ऐसे बच्चों को पटाखे, मिठाइयां, पुस्तकें व कपड़े आदि बांटें, उन्हें शिक्षित करने का संकल्प लें ताकि उनके जीवन में भी खुशियों की रोशनी फैल सके। आइये इस दीपावली अपने आंगन के साथ दूसरों के आंगन को भी उजालों से भरने का संकल्प लें। तभी दीपपर्व मनाने की सार्थकता होगी।