क्यों होती है फूड एलर्जी

कई प्रकार के भोज्य पदार्थों में एलर्जी के तत्वों का समावेश होता है परंतु बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं। भोजन से एलर्जी होने से कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है जैसे-आर्थराइटिस, अस्थमा, जिगर का कमजोर होना, आधासीसी का दर्द, मोटापा इत्यादि।


माइल्ड एलर्जी होने पर तुरंत इसके लक्षण नहीं दिखाई देते। कुछ दिनां के बाद ही हमें इसका पता चल पाता है। इसके मुख्य लक्षण हैं-जोड़ों में दर्द होना, सिरदर्द, साइनस का भड़क उठना, व्हीजिंग, पानी की कमी इत्यादि। आप किसी हेल्थ प्रोफेशनल के मार्गदर्शन द्वारा भोजन और इसके लक्षणों के बीच का संबंध जान सकते हैं।


उग्र एलर्जी में व्यक्ति को तुरंत इसके लक्षण अनुभव होने लगते हैं। इससे कमजोरी का अनुभव, सांस लेने में तकलीफ और छींके लगना इत्यादि समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। यह स्थिति आपातकालीन भी हो सकती है जिसमें मरीज को तुरंत इलाज की आवश्यकता होती है।


गेहूं, दूध, चॉकलेट, दही, चीज़ व पनीर इत्यादि भोजन एलर्जी को उत्पन्न करने में सहायक होते हैं परंतु इन पदार्थों से एलर्जी होना आनुवांशिक संरचना पर भी निर्भर करता है जैसा कि कुछ लोग दूध का सेवन बिना किसी परेशानी से कर सकते हैं जबकि दूसरे लोगों को दूध से एलर्जी हो जाती है। दूषित वातावरण एलर्जी का एक कारक हो सकता है। कई बच्चों को मूंगफली या मछली से चोकिंग हो जाती है जो कि एलर्जी का ही एक लक्षण है।
एलर्जी के बहुत सारे कारण होते हैं। कई बार हम बिना किसी रिएक्शन के कुछ भी खा सकते हैं परंतु वही चीज हम दोबारा खाते हैं, इम्युन सिस्टन नीचा हो तो आप अति संवेदनशील हो जाते हैं। फूड एलर्जी उन लोगों को अधिक होती है जो जंक फूड का अत्यधिक सेवन करते हैं।


इससे बचने हेतु हमें अपनी इम्युनिटी यानी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना चाहिए। इसके लिए आप होम्योपैथिक पद्धति के आधार पर जो भी खाएं, उसका चार्ट बनाएं। इससे आप यह जान सकते हैं कि आपको कौन सा भोज्य पदार्थ खाने से एलर्जी होती है।
इसका लाभ यह होगा कि आप एलर्जी वाले पदार्थों को अपने भोजन में से कम कर अपने स्वास्थ्य को बहुत सारी शारीरिक बीमारियों से बचा पाएंगे।


अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने हेतु नियमित रूप से आंवला, तुलसी व अश्वगंधा का सेवन करें।