सिलीगुड़ी के सेवक रोड स्थित एक स्वीट पार्लर में एक सज्जन किसी से बात कर रहे थे। प्रसंग कार का चल पड़ा। वे सज्जन कह रहे थे कि दस लाख के नीचे कोई बढिय़ा कार आती ही नहीं। उनका कहने का तात्पर्य यह था कि दस लाख के नीचे जितनी भी कारें आती हैं वे सभी कार नहीं हैं कबाड़ हैं।
उस वक्त मैं सोचने लगा कि यदि अम्बानी और अडानी कह दें कि दस करोड़ के नीचे की कारें कोई कार थोड़े ही होती हैं वे सभी तो बच्चों के खिलौने होती हैं। तो फिर बताएं आप क्या कहेंगेघ्
मैं फिर सोचने लगा कि ये सज्जन कोई मामूली व्यक्ति नहीं हैं ये तो कार एक्सपर्ट हैं। इनको तो प्राइम लोकेशन में एक शानदार ऑफिस खोल लेना चाहिए जहां पर वे कार खरीदने के इच्छुक व्यक्तियों को सलाह दे सके कि उन्हें कौन सी कार खरीदनी चाहिए और कौन सी नहीं।
उन सज्जन के अनुसार हवाई जहाज में सफर करना हो तो बिजनेस क्लास में करें। इकोनॉमी क्लास में तो सिनेमा हॉल की थर्ड क्लास जैसी सीटें होती हैं।
अब आगे बढ़ाता हूं। उनके अनुसार चालीस.पचास लाख के फ्लैट में जो रह रहे हैं वे कोई फ्लैट थोड़े ही हैं वे तो झोपड़ी हैं। दस करोड़ के नीचे कोई फ्लैट थोड़े ही आता हैंए झोपडिय़ां आती हैं।
पाठकों की इजाजत हो तो आगे और लिखूं ए लो लिख ही देता हूं क्योंकि दिल है कि मानता नहीं।
उन सज्जन की विचारधारा के अनुसार अंतिम यात्रा के लिए बांस से जो अर्थी बनाई जाती है वह तो गरीबों को शोभा देती है। उनके अनुसार यदि धनी व्यक्ति की अंतिम यात्रा बांस से बनी अर्थी से निकाली जाती है तो इससे उनका स्टैटस डाउन हो जाएगा। यदि जीते जी स्टैटस बनाने की चिन्ता करते रहे तो मरणोपरांत बांस की अर्थी में निकल कर अपना स्टैटस क्यों गिराते हो। धनी वर्ग के लिए तो सोने.चांदी से बनें बांसों की अर्थी होनी चाहिए और यदि उस अर्थी को हीरे.मोती तथा रत्नों से जड़ दिया तो फिर बात ही क्या है। दिखावा इस तरह से बढ़ गया है कि आने वाले समय में अर्थियां बनने तथा सजने लगेगी अर्थात वह वक्त समाज के पतन का अंतिम चरण होगा।
अब बात करता हूं घर से निकली अंतिम यात्रा के बाद की यात्रा की। मैंने बचपन में एक गाना खूब सुना थाए आप सभी ने भी जरूर सुना होगा। गीत के बोल थे. सजन रे झूठ मत बोलोए खुदा के पास जाना हैए ना हाथी है ना घोड़ा हैए वहां पैदल ही जाना हैए सजन रे झूठ मत बोलो।
अब आप ही विचार करें कि यमराज महाराज हमारे स्टैटस के अनुसार हमारे लिए कोई स्पेशल वाहन भेजेंगे क्याघ् मेरी जानकारी में तो ऐसा होता नहीं हैए हां यदि आप किसी की जानकारी में हो तो मुझे अवश्य बता दें जिससे कि मैं आपका इंटरव्यू लेने के लिए मीडिया की पूरी टीम के साथ आपके समक्ष हाजिर हो सकूं।
दोस्तों आपके द्वारा छोड़ा हुआ धनए गाड़ी.बाड़ी सभी यहीं पर धरे के धरे रह जाएंगे। आप का कर्म ही आपके साथ जाएगा और फैसला एक ही कोर्ट करेगा। वहां पर कोई लोअर कोर्टए हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट थोड़े ही है।
वहां पर जो फैसला होगा वह आपके स्टैटस को देख कर नहीं आपके कर्म के हिसाब से होगा चाहे आप साइकिल चलाते होए स्कूटर. मोटर साइकिल चलाते हो या मेरी जैसी टाटा की टियागो कार या फिर दस करोड़ या उससे ज्यादा कीमत वाली कार चलाते हो वहां पर कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा। वहां पर आपके कर्म के हिसाब से आपका स्टैटस तय होगा न कि आपके धन.दौलत के हिसाब से।