सतर्कता जरूरी, वरना खटखटा सकते हैं ‘साइबर ठग’ आपका दरवाजा?
Focus News 23 October 2023वक्त, साइबर सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने का है? देशवासियों की ‘साइबर सुरक्षा’ सुनिश्चित हो, जिसके लिए स्वंय केंद्र सरकार और सभी राज्यों की हुकूमतों को अलर्ट मोड़ पर निर्देशित करके पूरे अक्टूबर माह को साइबर सुरक्षा जागरूकता को समर्पित किया गया है। केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की सभी सरकारी और निजी दूरभाष कंपनियों को भी आदेशित किया है कि वह भारत के तकरीबन सभी मोबाइल अपभोक्ताओं को उनके फोन्स पर संदेश भेजकर ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा’ के प्रति जागरूकता करें।
विगत, कई सालों से समूचा देश साइबर धोखाधड़ी, फ्रॉड, चिंटिंग व वित्तीय गड़बड़ियों की चुनौतियों जूझ रहा है। इस किस्म के अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए जांच एजेंसियां कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही, भरसक कोशिशें कर रही हैं, बावजूद इसके वो खाली हाथ हैं। साइबर सुरक्षा जागरूकता माह के तहत इसी सप्ताह सीबीआई ने साइबर अपराध से जुड़े फाइनेंसियल फ्रॉड में पांच अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं और पूरे भारत में ‘ऑपरेशन चक्र-2’ चलाया हुआ है। ऑपरेशन के तहत सीबीआई ने 10 राज्यों में 76 जगहों पर छापेमारियां की हैं।
गौरतलब है कि बीते कुछ समय से साइबर अपराधियों ने साइबर क्राइम का तरीका बदला है। पहले छोटी-बड़ी धोखाधड़ी तक सीमित थे लेकिन, अब बड़ा हाथ मारने लगे हैं। यूं कहें कि ठगी के इस्टाइल में विस्तार कर लिया है। लोगों को डिजीटल ठगी से बचाने के लिए ही केंद्र सरकार जागरूकता माह में टेलीविजन, रेडियो, रील्स, मीम्स, मोबाइल एसएमएस आदि कई मीडिया माध्यमों से बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करके साइबर स्वच्छता को फैला रही है। यहां, जरूरी हो जाता है कि हमें जब कहीं भी साइबर ठगी जैसी गतिविधियों दिखाई दें, या थोड़ा बहुत भी आभास हो? तो एकदम सतर्क हो जाना जाएं और सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का तुरंत पालन करें। क्योंकि साइबर ठगी से सतर्कता ही बचाव है। बाकी सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से इशारा कर ही दिया है कि जागरूकता के बाद भी अगर कोई नहीं चेता? तो जिम्मेदारी उनकी स्वयं की होगी। वैसे, भारतीय जांच एजेंसियां ये मान चुकी हैं कि साइबर ठगों को पकड़ना आसान ही नहीं, बल्कि मुस्किल भी है? क्योंकि इनके तार ज्यादातर विदेशों से जुड़े होते हैं। उनकी लोकेशन भी टृस नहीं होती। भारत में इनके एजेंट मात्र होते हैं। उन्हें पकड़कर भी कुछ हासिल नहीं होता।
बहरहाल, साइबर सुरक्षा का मुद्दा इस वक्त बहुत बड़ा बना हुआ है। जो हर ओर चर्चाओं का विषय भी है। केंद्र से लेकर राज्यों की सरकारें भी चिंतित हैं। ये ठगी अब बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रहीं, गांव-देहात व कस्बे भी इस जंजाल में फंस चुके हैं। साइबर ठग पहले बकायदा रेकी करते हैं, शिकारियों को अच्छे से सर्च करते हैं। फिर फर्जी सरकारी कर्मचारी बनकर डाटा एकत्र करते हैं। पता करते हैं कौन कहां-कहां और कितना धनी हैं। हाल ही में डिजीटल ठगों ने क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी के माध्यम से भारत के विभिन्न शहरों के नागरिको से कई करोड़ रूपयों का गबन किए हैं इस केस को सीबाआई हैंडल कर रही है। फर्जी ‘क्रिप्टो माइनिंग ऑपरेशन’ में लगातार भारतीय निशाना बन रहे हैं। ठग ‘एमेजोन’ और बड़ी ‘माइक्रोसाप्ट कंपनियां’ की आड़ लेते हैं। खुद को ऑनलाइन प्रौधोगिकी संचालित टृडिंग प्लेटफार्म और विभिन्न अंतराष्टृय व बहुराष्टृय आईटी प्रमुख होना प्रस्तुत करते हैं। उनके झांसे में बड़े बिजनेस मैन, ब्यूरोक्रेट, राजनेता आदि आते जा रहे हैं।
हुकूमती स्तर पर साइबर ठगी से पिंड छुड़ाने के लिए खुफिया एजेंसी, लोकल इंटेलिजेंस, स्थानीय पुलिस-प्रशासन आदि को लगाया हुआ है। पर, सफलता फिर भी हाथ नहीं लग रही। तभी, साइबर सुरक्षा जागरूकता माह को मनाने की आवश्यकता पड़ी। आगे इस मिशन को ‘राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता’ के रूप में भी स्थापित करने की सुगबुगाहट है। साइबर सुरक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और नागरिकों, व्यवसायों और संगठनों के बीच अच्छी साइबर सुरक्षा प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार वार्षिक अभियान में भी तब्दीक करेगी। एक आम नागरिक की भी जिम्मेदारी बनती है कि ऑनलाइन या कनेक्टेड डिवाइस का उपयोग करते समय खुद को सुरक्षित और सतर्क मोड़ पर रखें। साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने में सिक्योर अवर वर्ल्ड साइबर सिक्योरिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेसियां भी इस अभियान में जुटी हैं।
भारतीय खुफियों एजेंसियों को इंपुट मिले हैं कि बॉर्डर पार के आतंकी भी इन्हीं तकनीकों के जरिए भारत में घुसपैठ करने की फिराक में हैं। एलओसी पर बीते दिनों पकड़े गए कुछ जिंदा दुश्मनों से कुछ ऐसे डिवाइस बरामद हुए, जो साबित करते हैं कि आतंकवादी अब अपनी आतंकी गतिविधियां टेकनीकल डिवाइसों के जरिए करने वाले हैं। खुफिया विभाग से प्राप्त खबरों के बाद दिल्ली में गृह मंत्रालय भी अलर्ट पर है। त्योहारों का सीजन है? जिसकी आतंकी आड़ लेना चाहते हैं। हालांकि उनकी प्रत्येक चालों पर जांच एजेंसियों का पहरा है। इतनी आसानी से उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे? वैसे, सर्तकर्ता के तहत हमें अपनी साइबर सुरक्षा सिस्टम, डिवाइस, नेटवर्क और डेटा को किसी भी प्रकार की अनधिकृत पहुंच तक नहीं जाने देना चाहिए। साइबर हमले आमतौर पर संवेदनशील जानकारी के जरिए पहुंचते हैं। साइबर ठगों के आपराधिक इरादों को भांप कर प्रत्येक इंसान को एक जिम्मेदार नागरिक होने का फर्ज अदा करने का समय है। सामूहिक प्रयासों से साइबर अपराध से बच पाएंगे।