संरा सुरक्षा परिषद ने इजराइल-हमास युद्ध पर रूसी मसौदा प्रस्ताव को खारिज किया

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संयुक्त राष्ट्र,  संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने गाजा से जुड़े उस रूसी मसौदा प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें नागरिकों के खिलाफ हिंसा और आतंकवाद की तो निंदा की गई, लेकिन इसमें इजराइल पर हमास के हमले का कोई जिक्र नहीं है। हालांकि, प्रतिद्वंद्वी ब्राजीलियाई मसौदे पर मतदान मंगलवार को होगा।

15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने सोमवार शाम को रूस की ओर से पेश मसौदा प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए बैठक की।

यह पहला मसौदा है जब इजराइल और फलस्तीनी चरमपंथी समूह हमास के बीच बढ़ते युद्ध के बीच संयुक्त राष्ट्र के इस शक्तिशाली निकाय द्वारा विचार किया गया।

एक पेज के इस प्रस्ताव पर मतदान में केवल पांच देशों, रूस, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, मोजाम्बिक और गैबॉन ने पक्ष में मतदान किया और यह पारित नहीं हो सका।

चार देशों, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जापान ने इसके खिलाफ मतदान किया, जबकि अन्य छह देश अनुपस्थित रहे। अल्बानिया, ब्राजील, इक्वाडोर, घाना, माल्टा और स्विट्जरलैंड ने मतदान में भाग नहीं लिया।

किसी प्रस्ताव को अपनाए जाने के लिए 15-सदस्यीय सुरक्षा परिषद में इसके समर्थन में कम से कम नौ वोटों की आवश्यकता होती है।

सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का सबसे ताकतवर निकाय है जिस पर अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की जिम्मेदारी है, लेकन यह इजराइल पर सात अक्टूबर को किये गये हमास के हमले के प्रति प्रतिक्रिया देने में नाकाम रहा जिसमें 1300 लोग मारे गये और बाद में इजराइल के जवाबी हमले में हमास शासित गाजा पट्टी में करीब 2778 लोग मारे गये और 9000 से अधिक लोग घायल हो गये।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने वोट के बारे में कहा कि रूस का प्रस्ताव बिना किसी परामर्श के रखा गया था और इसमें हमास का कोई जिक्र नहीं है।

उन्होंने कहा कि वाशिंगटन मॉस्को के प्रस्ताव का समर्थन नहीं कर सकता, जो हमास के आतंकवाद को नजरअंदाज करके पीड़ितों का अपमान करता है।

संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वासिली नेबेंजिया ने मतदान से पहले कहा कि मसौदा प्रस्ताव ‘विशुद्ध रूप से मानवीय पाठ’ है।

संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की राजदूत बारबरा वुडवर्ड ने कहा, ‘‘इजरायल के इतिहास में सबसे बड़े आतंकी हमले को नजरअंदाज करना इस परिषद के लिए उचित नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा कि इजराइल के इतिहास में सबसे बड़े आतंकवादी हमले को नजरअंदाज करना परिषद के लिए ‘‘अविवेकपूर्ण’’ है।

संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन के राजदूत रियाद मंसूर ने परिषद से कहा कि उसे यह संकेत नहीं देना चाहिए कि फलस्तीन के लोगों का जीवन कोई मायने नहीं रखता।

उन्होंने कहा, “यह कहने की हिम्मत मत करो कि इजराइल उन बमों के लिए जिम्मेदार नहीं है जिसे वह उनके सिर पर गिरा रहा है। हत्याओं को उचित मत ठहराएं, पीड़ित को दोष न दें, गाजा में जो हो रहा है वह कोई सैन्य कार्रवाई नहीं है, यह हमारे लोगों के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर हमला है। यह निर्दोष नागरिकों के खिलाफ नरसंहार है।’’